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कहानी

पंदरा अगस्त के नाटक

चउदा तारीख के बात आय। रतनू ह खेत ले आइस। बियासी नांगर चलत रहय। बइला मन ल चारा चरे बर खेते डहर छोंड़ के आय रहय। देवकी ल कहिथे – ‘‘राजेस के मां, आज दिन भर के झड़ी म कंपकंपासी छूट गे। चहा बना के तो पिया दे। राजेस ह स्कूल ले आ गिस होही, आरो नइ मिलत हे, कहां हे?’’
देवकी – ‘‘हव आ गे हे। काली पंदरा अगस्त के तियारी करे बर जल्दी छुट्टी होइस होही। कोठा डहर अपन संगवारी मन संग खेलत हे।’’
रतनू सोंचथे, कोठा डहर पेरा भूंसा धराय रहिथे। कीरा मकोरा के डर रहिथे। ये मन उंहां काबर खेलत होहीं। जा के देखथे, उंखर मन के नाटक के रिहलसल चलत रहय। रतनू ल देख के सब झन सरमा गें। राजेस ह कहिथे – ‘‘बाबू तंय जा न। काली स्कूल म देखबे।’’
रतनू ह ऊखर मन के नकली दाढ़ी मेछा अउ कोइला छुही के मेकप ल देख के हांस डरिस। हांसत हांसत लहुट गे।
पंदरा अगस्त के दिन बिहाने ले झड़ी करे रहय फेर प्रभात फेरी के लहुटत ले थिरा गिस। लइका मन के पोरोग्राम बने जम गे। असोक गुरूजी ह गाना-बजाना, गम्मत-नाटक के गजब सौकीन। गांवेच के रहवइया आय। लइका मन संग खुदे लइका बन जाथे। वोकरे सब कलाकारी रहिथे। देखे बर गांव भर के लइका-सियान, दाई-माई उमिंहा जथे। रतनू घला बेटा के नाटक ल देखे बर आय रहय। नाटक अइसन आय।
पात्र-परिचय
1. थुकलू – सराबी जउन खुद ल गांव के नेता कहिथे
2. जुठलू – थुकलू के चमचा
3. डाक्टर – गांव के अस्पताल के कम्पाउंडर
4. सुषीला – थुकलू के घरवाली
5. रामू – थुकलू के बेटा, होनहार छात्र
6. प्रथम महिला – महिला सहायता समूह के अध्यक्ष
7. महिला सहायता समूह के दु-चार झन सदस्य

(पहला सीन)
( पंदरा अगस्त के दिन। सांझ के चार बजे के बेरा। गांव के झंडा चंउक म थुकलू अउ जुठलू नसा म झुमरत हें। )
थुकलू – ( एक हांथ म तिरंगा झंडा अउ दूसर हांथ म बोतल धरे झूमरत झूमरत आवत हे। जुठलू ल देख के धरालका बोतल ल बनियाइन भीतर लुकाथे अउ दूसर कोती मुंहू करके कहिथे ) भारत माता की जय। महात्मा गांधी की जय। झंडा ऊंचा रहे हमारा।
जुठलू – जय हिंद, नेताजी, काबर मुंहूं ल टेड़गा करत हस?
थुकलू – धत तेरे कहीं के। जुठलू आवस का रे?
जुठलू – तब तोला का मंय भूत परेत कस दिखथव? जादा तो नइ होय हे?
थुकलू – तोर सत्यानास हो जातिस रे। डरवा डरे रेहेस अउ जादा हो गे हे का कहिथस।
जुठलू – मोर सींग जागे हे का?
थुकलू – बात वइसन नो हे यार। हम आवन इज्जतदार आदमी।। बदनामी ले डर लगथे। डरे बर पड़थे। समझे?
जुठलू – वा रे इज्जतदार! दू दिन पहिली घुरवा के गोबर म सड़बड़ाय सड़क म परे रेहेस। भुला गेस का?
थुकलू – चुप रहि न यार। बेइज्जती खराब काबर करत हस। थोरिक थोरिक सुरसुरावत रिहिस तउनो डाउन हो गे।
( टरकाय बर ) खेत जावत हस का? जल्दी जा। मुंहीं-पार फुटे फुटाय होही, देख के आ जाबे।
जुठलू – ( कंझाय कस ) उं हूं ! तंय खेत खार के नांव झन ले यार। सुन, आज झंडा तिहार आय न?
थुकलू – हव।
जुठलू – बिहिनिया झंडा लहराय रिहिस न?
थुकलू – हव।
जुठलू – भुला गेस का?
थुकलू – हव, हमला कुछू के सुरता नइ रहय। घर जावत हन।
जुठलू – काला भुलाएस, सुरता करांव का? वा जी हुसियार।
थुकलू – अंय, तहूं बेंझवा डारथस यार। घर दुवार ल भुला जाहूं, लइका लोग ल भुला जाहूं, फेर तोला नंइ भुलांव यार। तंय तो मोर लिंगोटिया यार हरस।
जुठलू – तब निकाल।
थुकलू – काला?
जुठलू – बनियान के भीतर, अउ चड्डी के अंदर लुकाय हस तउन ल।
थुकलू – अंय, तोर आंखी ह गिधान आंखी कस हे का रे?
जुठलू – हव। अउ हमर नाक ह कुकुर नाक सरीख हे। एकदम पावरफूल। समझे?
थुकलू – तउने सेती सुंघियाय म माहिर हस।
जुठलू – हव।
थुकलू – अच्छा ये बता, हमर देस के नेता कोन?
जुठलू – ( थुकलू के पांव परत ) थुकलू भइया।
थुकलू – खुस रह। तोर मुंह म का कहिथे तइसने परे। अउ हमर गांव के नेता कोन?
जुठलू – ( चुप )
थुकलू – का हो गे? तोर मुंहूं म लाड़ू काबर गोंजा गे?
जुठलू – चोपिया गे।
थुकलू – का ह?
जुठलू – मुंहूं ह। अउ का ह?
थुकलू – कइसे म बनही?
जुठलू – कच्चा करे बर थोकुन दे न।
थुकलू – काला?
जुठलू – ( झल्ला के ) उही ल कहिथों त। दिमाग चांट के रख देस।
थुकलू – जथा नाम तथा गुन। नाम जुठलू काम घला जुठलू। जूठा हो गे हे कहिके लुकावत रेहेंव। तोर नीयत गड़ गे। नीयतखोर कहीं के। ( बोतल ल देवत ) ले कलेचुप पी। कोनों झन देखे।
जुठलू – बेइज्जती खराब हो जाही क?
थुकलू – अरे, कोनों अउ आ जाही। एक तो आज भट्ठी बंद हे। काली के जुगाड़ कर के रखे हंव। समझता काबर नहीं यार।
जुठलू – ( दारू पीथे )
थुकलू – अब बता।
जुठलू – ( चेथी खजवात ) का पूछे रेहेस यार? ( थुकलू राम ह बोतल ल नंगाय कस करथे ) अरे बतावत हंव न यार। असर करही तब तो सुरता आही। ( झुमर के )आ गे। हमर गांव के नेता थुकलू राम। थुकलू भइया जिंदाबाद।
थुकलू – तोला कोन पूछिस?
जुठलू – काला?
थुकलू – इही ल।
जुठलू – ( चुप )
थुकलू – अउ का हो गे, तोर पोंगा फेर कइसे बंद हो गे?
जुठलू – ( इसारा से गुटका अउ सिगरेट मांगथे। )
थुकलू – अच्छा…अब तोला गुटका चाहिये?
जुठलू – ( हामी म मुड़ी हलाथे। )
थुकलू – गुटका नइ हे त मुटका म काम चलही? ( मुटका मारे के नकल करथे। )
जुठलू – ऊंचे लोगों की ऊंची पसंद यार।
थुकलू – (गुटका देवत )धर रे जीछुट्टा। मुंह म गरमी हो गे हे कहिके नइ खाय रेहंेव।
जुठलू – ( कुकुर जइसे सुंघियावत। ) हूं….हमारा नाक कुकुर के नाक ले जादा पावरफुल हे।
( दूसर सीन )
( सांझ के सात बजे के समय हे। कम पावर के एक ठन बलफ जलत हे। थुकलू राम के घर परछी म खटिया म बीमार लइका ह सुते हे। दाइ्र ह दवइ खाय बर मनावत हे।घर के हर जिनिस ले गरीबी नजर आवत हे। गांव के डाक्टर ह नाड़ी देखत हे। थुकलू ह धड़ाम ले कपाट ल खोल के भीतर आथे। )
थुकलू – (एक हाथ म बोतल अउ दूसर हाथ म झंडा धरे हे। झुमरत हे। गाना गावत हे।) मो…र सारी प..रम पियारी।… सारी ..सारी.. (ओठ म उंगली रख के चुप रहे के नकल करथे। ) फेर कहिथे –
‘‘रामू के दाई
काबर हो गे हे करलाई
डाक्टर काबर आय हे?
दार भत रंधाय हे?
कि नइ रंधाय हे।’’
सुसीला – ( अंचरा के कोर म आंसू ल पोंछत। ) घर म एक बीजा चांउर नइ हे। लइका ह काली ले बुखार म तीपत हे। एकर खियाल नइ हे? बिहिनिया के निकले अब आवत हस। दार-भात पूछथस। कुछू सरम लागथे कि नइ लागे?
थुकलू – ( मुंह म उंगली धर के ) ष…चुप। जबान बंद। ( बरतन मन म खाना खोजथे। चार ठन सुक्खा रोटी अउ बंगाला के चटनी मिलथे। ) अंए! रोटी अउ मिरी के चटनी। दार काबर नइ रांधे? मोर मुंहूं के गरमी ल महीना दिन हो गे हे, तेकर तोला कोई चिंता नइ हे। काली के जर धरे हे तेकर चिंता हे।
सुसीला – रोटी-चटनी ल तंय हाथ झन लगा। सुकारो दाई घर ले मांग के लाय हंव। लइका ह काली ले मुंह म सीथा नइ डारे हे।
थुकलू – ( जबरन रोटी-चटनी खाथे। ) थू…थू…..। चुच्चुर म मर गेंव। पानी…पानी। (लड़खड़ाथें तिरंगा झंडा ह हांथ ले छूट के गिरे लगथे। बीमार लइका, रामू ह उठथे। दंउड़ के गिरत झंडा ल संभालथे। )
डाक्टर – साबास रामू बेटा। ( दंउड़ के रामू ल संभालथे। ) वाह! बेटा, आज तंय तिरंगा के सान ल बचा लेस। कालीतिंही ह देस के रक्षा करबे। ( झंडा ल आदर के साथ लपेट के रखथे। थुकलू से कहिथे। ) थुकलू राम, तंय खुद ल तो संभाल नइ सकस। अपन आप ल गांव के नेता कहिथस। पुरखउती खेत खार ल बेंच बेंच के दारू म लुटा डारेस। गुटका माखुर के खवइ म तोर मुंहूं ह केंदवा चरे कस हो गे हे। तोला कब के कहत हंव। बड़े सरकारी अस्पताल म जा के जांच कराय बर। आज ले नइ गेस।
थुकलू – चुप, साला बड़ा डाक्टर बने घूमता है। एक रिपोट करूंगा। सब घुंसड़ जाएगा। हमर खेलाय लइका अउ हमी को भासन पिलाता है। अरे, पिलाना हे त दारू पिला, गांजा पिला। ये साला भासन झन पिला। हमर दाई-ददा के चीज ल बेंचेन। तोर बाप के का उरकिस?
डाक्टर – तोर दाई-ददा के चीज म तोरेच हक हे का? रामू अउ सुसीला भउजी के कोई हक नइ हे? अरे पुरखा के जैदाद म सबके बराबर हक रहिथे। तंय बेंचबे , हमर का जाही, फेर अपन लोग लइका के बारे म तो सोंच। अइसने तोर बाप ह सोंचे होतिस तब तंय कहां रहितेस?
( थुकलू नसा म उत्पात मचाथे। हल्ला सुन के महिला स्व सहायता समूह के सदस्य मन जुरिया जाथे। जुठलू ल घला चिंगिर- चांगर धर के लाथें। )
महिला नं.1 – डाकटर बाबू ह बने कहत हे। अरे चंडाल हो! दारू गांजा म सरी जैजाद ल फंूक देव। तोर मुंहूं ल केंदवा चर डारिस। ये ह पेट पीरा म दिन रात छटपटात रहिथे। अपन कमाय चीज होतिस तब दरद पीरा होतिस। पुरखा के जोरे चीज ल बेंचे म का दरद होही? फेर आज सुन लेव तुमन। सुसीला अउ सुसीला सरीख जम्मों बहिनी मन अब अकेला नइ हे। हम सब ऊंखर साथ हन। अब कइसे खेत खार ल बेंचहू अउ कोन ह खरीदही। कइसे वोकर रजिस्टरी होही, देखबोन। आज ले दारू पी के घर के भीतर कइसे खुसरहू वहू ल देखबोन। चलो तो बहिनी हो, ये मन ल धर के घर के बाहिर फेंको।
थुकलू – ( सबो नसा उतर जाथे। ) मोला छिमा कर देवव मोर माता हो। तुंहर पांव परत हंव। आज ले नइ पीयंव। ( एक ठन कागज निकाल के डाक्टर ल दे के। ) डाक्टर भइया ! येदे रिपोट ल पढ़ के बता ददा का लिखाय हे।
डाक्टर – अच्छा, तोर मुंहूं के जांच रिपोर्ट आय। ( पढ़थे ) मोर संका ह सही होइस। फेर अभी जादा बिगड़े नइ हे। सुरुआत हे। परहेज करबे। सरलग दवाई खाबे ते बिलकुल बने हो जाही। दारू, गुटखा, गुड़ाखू, बिड़ी सिगरेट सब छोड़े बर पड़ही। नइ ते केंसर ह कोई ल नइ छोंड़य। बांकी तोर मरजी। ( जुठलू कोती देख के। ) तंय काबर बिन पानी के मछरी कस तलफत हस जुठलू कका?
जुठलू -पोटा नंगत अंइठत हे ददा। परान निकले परत हे। मोला बंचा ले ददा, तोर पांव परत हंव।
डाक्टर -कका, छै महीना हो गे हे समझावत तोला। दारू पियइ म तोर पेट म अल्सर हो गे हे। लीवर घला जवाब देवत हे। ये सब ल छोंड़हू तभेच दवइ्र ह असर करही। नइ ते भगवान घला तुंहर रक्षा नइ कर सकय।
( जुठलू अउ थुकलू हाथ जोर के संघरा दरसक मन से ) हमन आज ले अपन अपन कान पकड़ के, उठक बैठक करके कसम खा के, कहत हन डाक्टर ददा। आज ले –
जुठलू – कभू दारू नइ पीयन।
थुकलू – मंजन गुड़ाखू नइ धिंसन।
जुठलू – बिड़ी-सिगरेट नइ पीयन।
थुकलू – गांजा नइ पीयन।
जुठलू – खेत-खार ल नइ बेंचन।
थुकलू – मोर रामू बेटा ह आज मोर आंखी ल उघार दिस। आज ले तिरंगा ल कभू नइ गिरन देंव। भारत माता की जय। छत्तीसगढ़ माता की जय।
डाक्टर – ( दरसक मन से )वा भइ ! ये मन अब सचमुच चेत गें तइसे लागाथे। ये कमाल तो महिला सक्ति के आय। सब झन बोलो, नारी सक्ति की जय।
ताली के मारे स्कूल गदक गे। इनाम के झड़ी लग गे। राजेस अउ वोकर संगवारी मन के सोर उड़ गे।

कुबेर
(कहानी संग्रह भोलापुर के कहानी से)