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व्यंग्य : नवा सड़क के नवा बात

Birendra Saralगरमी के दिन में बने नवा चमचमाती सड़क ह बरसात के पहिलीच पानी में हिरोइन के मेक-अप असन धोवागे अउ रेती, सिरमिट, डामर अउ बजरी गिट्टी मन भिंगे उड़िद दार के फोकला कस उफलगे। सड़क ह चुहके आमा के फोकला कस खोचका-डबरा होगे। जी पराण देके जनता के सेवा करइय्या भैय्या जी किसम के मनखे मन तुरते ये बात के शिकायत, सड़क बनवइय्या बड़े साहब मेरन जा के करिन। पत्रकार मन घला साहब मेरन पहुँचे रिहिन।

पत्रकार मन साहब ला पुछिन-’’कस साहब! आजकल लाखों-करोड़ों रूपिया के बने पुल-पुलिया अउ चमचमाती सड़क मन बरसात के पहिलीच पानी में चाउर असन धोआ जावत हे। ये बड़ अचंभा के बात आय भई। अभी घला तइहा जुग के बने कतकोन पुल-पुलिया अउ भवन मन वइसने के वइसनेच हावे। फेर नवा मन कइसे निचट सिगसिगहा होवत हे? थोड़को पानी-बरसात ला नइ सहे। आज बनत हे अउ काली पानी गिरिस तहन ओखर चिन्हा कालीच सिरा जावत है, ये काय बात आय?

साहब पहली अपन पेट में हाथ ला फेरिस अउ डकार लेवत किहिस-’’येमें अचंभा के काय बात हे यार! सियान मन कहिथे ‘तइहा के बात ला बइहा’ लेगे। पहिली के सड़क ह जुन्ना तकनीकि में बने अब के मन बिल्कुल नवा तकनीकि ले बनत हे। बेरा के संगे-संग तकनीकि ह तो बदलबे करही। हमन तो ‘सियाराम मय सब जग जानि’ के सिद्धान्त ला अपना के सबके कल्याण करत हन। देखत नइ हव सड़क में आज कल कतेक मनखे मन के कल्याण होवत हे। अरे भई! जब तरिया डबरी मन पटावत हे तब मेंचका-मछरी के रहे-बसे बर जगा लागही कि नइ लागही। जउन ला तुमन खोचका-डबरा समझत हव तउन सब मेचका-मछरी आवास योजना के अन्तर्गत इखर बर बनाय आवास आय, समझगेव?

दूसर बात ये आय कि आजकल मनखे मन गजब सुविधाभोगी होगे हावे। मिहनत के काम जादा नइ करे तेखर सेती किसम-किसम के बीमारी ओमन ला घेरे रहिथे। शरीर ह निचट कमजोर होवत जावत हे। खेल मैदान अउ चरागन में मनखे मन अवैध कब्जा करके बइठे हे। तिही पाय के हमन सोचे हन मनखे जब उबड़-खाबड़ सड़क में चलही तब उखर अच्छा व्यायाम होही। जिनगी के ऊँच-नीच रद्दा में रेंगे के बने अभ्यास होही। हमन जउन नवा तकनीकि ले सड़क बनावत हन ओमें कई किसम के फायदा हे। पहली बात तो ये हे कि हम जनसंख्या नियंत्रण अउ अंधत्व निवारण बर स्वास्य् विभाग ला अपन भरपूर सहयोग देवत हन। जउन मनखे हमर बनाय सड़क में बने सोझबाय रेंगत हे मतलब समझ जाओ कि ओखर दुनो हेडलाइट ठीक हे अउ जउन सड़क के खोचका-डबरा में झपाके गिरत-हपटत हे मने उखर आँखी के फ्यूज होय के डर हे। ओला बिना जाँच-पड़ताल के सोझे आॅपरेशन थियेटर में ओइलाय के जरूरत हे, समझेव? तीसर बात ये हे कि आजकाल अन्तर्राश्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में हमर खिलाड़ी मन अपन खेल के बने प्रदर्शन नइ कर पावत हे, येखर कारण ला जानथव, नहीं ना? येखर कारण खेल मैदान के कमी होना आय। मोला पक्का विश्वास हे हमर खिलाड़ी मन हमर नवा तकनीकि ले बने सड़क में जब कूदत-फांदत रेंगही तब उखर अच्छा प्रेक्टिस होही अउ ओमन कहीं नहीं ते लंबी कूद अउ ऊँची कूद में सफल होके हमर देश बर जरूर मेडल जीत के लानही। चौथा फायदा ये हे कि सड़क के गड्ढा में पानी भरे रही तब जल संरक्षण घला होही। पानी भरे सड़क में चलइय्या मोटर-गाड़ी मन अपने-आप धोवाही तब उखर मालिक मन के पइसा बाँचही। सड़क के दचाका में कोन्हो मोटर-गाड़ी मन साबूत बाँचगे तब समझ लेव कि गाड़ी बहुत मजबूत हे, मतलब येखर ले गाड़ी-मोटर के मजबूती के जाँच घला होही अउ—।

साहब के गोठ ला सुनके सुनइय्या मन ला तीन डिग्री के बुखार धर लिस, ओमन मुड़ धरके बइठगे। एक झन किहिस-’’भइगे ददा! हमन समझगेन, आपमन अइसन सड़क के माध्यम ले गजब अकन कल्याणकारी योजना चलावत हव। हमी मन मूरख हन ददा जउन आपमन के योजना ला आज ले नइ समझे रेहेन। अब समझगेन, अउ जादा झन समझा। जादा समझे में तो हमर इहींचे कल्याण होय के डर हे। हमन जावत हन ददा।’’

साहब ह हव कहिके अपन मुड़ी ला डोला के पेट में हाथ फेरिस, वतकेच बेरा ओला डकार आगे। कुरिया भर डामर अउ सीमेंन्ट के बदबू भरगे। उहाँ रिहिन तउन मन तुरते उहाँ ले भागिन।

वीरेन्द्र ‘सरल’
बोड़रा( मगरलोड़)
पोश्ट-भोथीडीह
व्हाया-मगरलोड़

2 replies on “व्यंग्य : नवा सड़क के नवा बात”

वाह भाई
कुरिया भर डामर अउ सीमेंन्ट के बदबू भरगे।
मतलब आपके ब्यंग एकदम हिट हे,
भ्रष्टाचारी मन के ऊपर पूरा फिट हे,
काबर? उंकरे मुँहू म पोताये चिट हे।

वाह भाई
कुरिया भर डामर अउ सीमेंन्ट के बदबू भरगे।
मतलब आपके ब्यंग एकदम हिट हे,
भ्रष्टाचारी मन के ऊपर पूरा फिट हे,
काबर? उंकरे मुँहू म पोताये चिट हे।

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