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कविता

छत्तीसगढ़ के माटी

मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी,
मोर छत्तीसगढ़ के माटी।
हीरा मोती सोना चाँदी…2
छत्तीसगढ़ के माटी…
मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी,
मोर छत्तीसगढ़ के माटी।

इही भुइयाँ मा महाप्रभु जी,
लिये हावे अँवतारे हे…2
इही भुइयाँ मा लोमश रिसी,
आसन अपन लगाये हे…2
बड़े-बड़े हे गियानी धियानी…2
छत्तीसगढ़ के माटी…
मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी,
मोर छत्तीसगढ़ के माटी।

इही भुइयाँ मा राजीव लोचन,
सउँहत इहाँ बिराजे हे…2
बीच नदिया मा कुलेश्वर बइठे,
आसिस अपन बगराये हे…2
जघा जघा बिराजे देंवता धामी…2
छत्तीसगढ़ के माटी…
मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी,
मोर छत्तीसगढ़ के माटी।

अरपा पइरी अउ महानदी,
सुग्घर पखारे पाँवे हे…2
करिया पिंउरा माटी सुग्घर,
महर-महर महमाये हे…2
बड़े-बड़े हे परवत घाटी…2
छत्तीसगढ़ के माटी…
मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी,
मोर छत्तीसगढ़ के माटी।

सोनहा उपजे धान सुग्घर,
धान कटोरा कहाये हे…2
मैनपुर मा हीरा उगले,
देस बिदेश नाव बगराये हे…2
हीरा मोती सोना चाँदी…2
छत्तीसगढ़ के माटी…
मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी,
मोर छत्तीसगढ़ के माटी।

गोकुल राम साहू
धुरसा-राजिम(घटारानी)
जिला-गरियाबंद छत्तीसगढ़)
मों.9009047156