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गोठ बात

दिनेश चौहान के छत्तीसगढ़ी आलेख- सेना, युद्ध अउ सान्ति

हमर देस के जम्मू कास्मीर राज के पुलवामा जिला म 42 ले जादा जवान के शहीद होय के बाद पूरा देस म सेना अउ युद्ध के चर्चा छिड़े हे। पूरा देस जानथे के भारत म होने वाला जम्मो आतंकवादी हमला म पाकिस्तान के हाथ हे। पाकिस्तान हमर वो पड़ोसी देस हरे जउन आजादी के पहिली भारत के हिस्सा रिहिस। अंगरेज मन हरदम फूट डाल के राज करिन अउ जावत-जावत देस के दू टुकड़ा कर दिन। ये बँटवारा धरम के नाँव ले के करे गिस। बँटवारा के बाद दुसमनी खतम हो जाना रिहिस फेर अइसन नइ होइस दुसमनी अउ बाढ़ गे। पाकिस्तान के एके उद्देस्य रहि गे हे के भारत ल नीचा देखाना। एखरे सेती वो कभू युद्ध छेड़ देथे तौ कभू समय-कुसमय आतंकवादी घटना करवावत रहिथे।

पुलवामा आतंकवादी घटना म घलो पाकिस्तान के हाथ होना साबित हो गे हे फेर पाकिस्तान वोला माने बर त इयार नइ हे। एखरे सेती हमर वायु सेना एयर अटेक करिस। तब जाके पाकिस्तान के आँखी उघरिस। बाद म दुर्भाग्य ले हमर वायुसेना एक झन वाइस कमाण्डर अभिनंदन वर्धमान ह पाकिस्तानी सेना के कब्जा म आ गे। पाकिस्तान के ये हरकत के दुनियाभर म थू-थू होय लगिस अउ भारत के कूटनीतिक दबाव बनिस तौ अभिनंदन वर्धमान ल ससम्मान वापिस लौटाना परिस। ये बीच म पूरा भारत म युद्ध अउ पाकिस्तान ऊपर हमला के माहौल बन गे। जिहाँ युद्ध के समर्थन म बहुमत दिखिस उहें सान्ति के समर्थक मन घलो चुप नइ बइठिन। सोसल मीडिया म अपन-अपन पक्ष म समर्थन अउ विरोध आजो चालू हे।
भारत अउ पाकिस्तान के बीच चार युद्ध लड़े जा चुके हे । फेर कोनो ये दावा के साथ नइ कहि सकय के युद्ध ले समस्या के निराकरन होइस अउ कोई प्रकार के लाभ होइस। आज फेर ये सोच लेना के युद्ध ले समस्या हल हो जाही कोनो बुद्धिमानी के बात नइ होही। समस्या के हल बातचीत ले ही निकल सकथे। सान्ति प्रक्रिया कोनो सीमित कार्यवाही नइ होय। एखर बर लगातार अउ हमेसा प्रयासरत रेहे ल पड़थे। युद्ध हमेसा अउ लगातार न इ लड़े जा सके। युद्ध ले सान्ति इस्थापित होय के दुनिया म एक भी उदाहरण नइ मिलय। युद्ध के परिणाम तबाही अउ विनास के छोड़ दूसर नइ होय।
बहुत झन सवाल करथे- कोई बार-बार हमर ऊपर हमला करत राहय तौ का तभो हम सान्ति पाठ करत राहन?

एखर जवाब हे-दुसमन के हमला ले बचाव करना अउ युद्ध छेड़ना दूनों अलग-अलग बात हरे। दुसमन ले बचाव अउ बिरोधी सेना के अतलंग हरकत ले बचाव करे बर हथियार तो उठाय्च् ल परही। वोला सबक सिखायेच् बर तो सीमा म सेना तैनात करे जाथे। वो समय दुसमन ल मुँमतोड़ जवाब देय बर सेना ल सरकार के परमीसन लेय के जरूरत नइ राहय। देस म सेना अउ हथियार एखरे सेती जरूरी हे। सेना अउ हथियार के उद्देश्य युद्ध छेड़ना नइ अपन आत्मरक्षा होथे। फेर युद्ध बिना सरकार के परमीसन के नइ छेड़े जा सकय। आतंकवादी अउ घुसपैठी मन ल मारे म कोनो मनाही नइ हे। एखर बर युद्धोन्माद फैलाय के घलो कोई जरूरत नइ हे।
आवव हमन युद्धमुक्त अउ सान्ति ले भरपूर दुनिया बनाय बर आगू बढ़न। हमर देस तो विश्वगुरु हरे। हम तो अहिंसा के बल म आजादी हासिल करके दुनिया म मिसाल कायम करे हन। का अब हम वो रस्ता ल छोड़ दन?
दिनेस चौहान