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कविता

डॉक्‍टर दानी के बानी

आजकल पढैया लैक मन बर ज़रूरी होगे हवय ट्यूसन,
कारकि अब सिक्षा के क्षेत्र मा घलो बढ गेहे कांपिटिसन,
हम तो अलवा जलवा गुटका ला पढ के पास होय रेहेन,
वो समय तो कक्षा म चिलम चढा के आवय सिक्षक मन्,
अब के स्कूल डिसीप्लीन ला बड़ महत्व देथे,साथे साथ,
हर बछर उमन फ़ीस ला बढावत जावत हवय दनादन,
अउ उही मन कहिथे कि नंबर पाना है तो ट्यूसन पढव,
हमर से ट्यूसन पढहू तभे परीक्षा म पा सकहू नंबर वन।
पर इंखर ट्यूसन फ़ीस हा स्कूल के फ़ीस से दुगुना हवय,
अब शिक्षक मन घलो उद्योग लगाय के सीख गे हे फ़न,
का इंजिनयरिंग पढ के लैका मन कुछु बड़े काम करत हे,
तो शहर म काबर बाढत हे स्कूटर मिस्त्री मन के संगठन्।

डॉ.संजय दानी
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