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कविता

रंग डोरी होली

रंग डोरी-डार ले गोरी, मया पिरीत के संग म,
आगे हे फागुन मोर नवा-नवा रंग म।

झूमे हे कान्हा-राधा के संग म,
मोर संग झुम ले तै, रंग के उमंग म।

रंग ले भरे गोरी, तोर लाल-लाल गाल हे,
होरी म माते, तोर रंग के कमाल हे।

फ़ाग गए फगुनिया, जियरा बेहाल हे,
रात भर बाजे नंगाडा, सुर अउ ताल हे।

रंग म तै मात ले गोरी, रंग के तिहार हे,
हरियर अउ लाल, तोर म दिखथे बवाल हे।

रंग के तिहार, होली रंग के तिहार हे,
नवा-नवा रंग म, लगे फागुन कमाल हे।

रंग तै डार गोरी, रंग तै डार ले,

अनिल कुमार पाली,
तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़।
प्रशिक्षण अधिकारी आई.टी.आई मगरलोड धमतरी।
मो.न.-7722906664, 7987766416
ईमेल:- anilpali635@gmail.com