छत्तीसगढ़ी साहित्य म गद्य लेखन नहीं के बतौर होवत हे। कहानी,एकांकी,उपन्यास के तो मानो टोंटा परे हवय। अइसन बेरा मा बादल जी के “जुड़वा बेटी” ल पढ़े के बाद ये आस जागिस हवय कि अब गद्य लेखन छत्तीसगढ़ी मा समृद्ध होही। बादल जी के कहानी मन आँचलिक समस्या ऊपर केंद्रित हवय। गाँव गवई में समाज […]
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अब अथान आमा के खाव,आगे गरमी कम हे भाव। झोला धर के जाव बजार,*लानव आमा छाँट निमार। मेथी संग मा सरसों तेल,येकर राखव सुग्घर मेल। * मेथी अउ सरसों के दार,चिटिक करायत होथे सार। 2 पीसे हरदी बने मिलाव,लहसुन डारे झने भुलाव। जीरा के येमा हे खेल,नापतौल के डारव तेल। 3 मिरचा सिरतो कमती खाव,स्वाद […]
गरमी हा आ गे हवय,परत हवय अब घाम। छइँहा खोजे नइ मिलय,जरत हवय जी चाम। । जरत हवय जी चाम हा,छाँव घलो नइ पाय। निसदिन काटे पेंड़ ला,अब काबर पछताय। । अब काबर पछताय तै,झेल घाम ला यार। पेंड़ लगाते तैं कहूँ,नइ परतिस जी मार। । नइ परतिस जी मार हा,मौसम होतिस कूल। हरियाली दिखतिस […]
हीरा सोनाखान के
छत्तीसगढ़ी साहित्य के पद्य लेखन मा उत्कृष्ट लेखन के कमी हवय, छन्द लेखन म तो बिल्कुल नगण्य। येकर भरपाई – हीरा सोनाखान के (खंडकाव्य) करत हवय । ये खण्डकाव्य ला पढ़ेंव एक घव मा मन नइ माढ़ीस ता दुबारा-तिबारा पढ़ डारेंव। पंडित सुंदरलाल शर्मा के दानलीला के एक लंबा अंतराल मा खण्ड काव्य आइस जेन […]
छन्न पकैया छन्न पकैया,पक्का हम अपनाबो। नइ लेवन अब चीनी राखी,देशी राखी लाबो।1 छन्न पकैया छन्न पकैया,बहिनी आँसों आबे। हमर देश के रेशम डोरी,सुग्घर तैं पहिराबे।2 छन्न पकैया छन्न पकैया, सावन आय महीना। हमर देश के राखी ले के,पहिरव ताने सीना। छन्न पकैया छन्न पकैया,चलन विदेशी छोड़ी। किसन सुभद्रा जइसे भैया,राहय सब के जोड़ी। छन्न […]
गरमी हा आ गे हवय,परत हवय अब घाम। छइँहा खोजे नइ मिलय,जरत हवय जी चाम।। जरत हवय जी चाम हा,छाँव घलो नइ पाय। निसदिन काटे पेंड़ ला,अब काबर पछताय।। अब काबर पछताय तै,झेल घाम ला यार। पेंड़ लगाते तैं कहूँ,नइ परतिस जी मार।। नइ परतिस जी मार हा,मौसम होतिस कूल। हरियाली दिखतिस बने,सुग्घर झरतिस फूल।। […]
चोवाराम वर्मा “बादल” जी के “छ्न्द बिरवा” पढ़े बर मिलिस । एक घव मा मन नइ माढ़ीस दुबारा पढ़ डारेंव। सिरतोन म अतका बढ़िया छन्द संग्रह हवय येकर जतका प्रसंशा करे जाय कम हवय । अब के बेरा म अइसन लिखइया आगे हवय जिंकर किताब ल पढ़ना तो दूर पलटाय के भी मन नइ होय […]
दोहा (बेटी) झन मारव जी कोख मा ,बेटी हे अनमोल। बेटी ले घर स्वर्ग हे, इही सबो के बोल।।1।। बेटी मिलथे भाग ले,करव इँकर सम्मान। दू कुल के मरजाद ये,जानव येहू ज्ञान।।2।। बेटी आइस मोर घर,गज़ब भाग हे मोर। घर पूरा खुशहाल हे,जुड़े मया के डोर ।।3।। बेटी ला सम्मान दव, ये लक्ष्मी के रूप। […]
ब्रज मा होरी हे चलत, गावत हे सब फाग। कान्हा गावय झूम के, किसम-किसम के राग।। 1।। राधा डारय रंग ला, सखी सहेली संग। कान्हा बाँचे नइ बचय, होगे हे सब दंग।।2।। ढोल नगाड़ा हे बजत, पिचकारी में रंग। राधा होरी में मगन, सखी सहेली संग।।3।। गोकुल मा अब हे दिखत, चारो कोती लाल। बरसत […]
पण्डवानी के नाम सुनते साठ हमर आँखी के आघू म पाँचो पाण्डव के कथा चलचित्र सरिक चले लागथे । पण्डवानी मा अब तक आप पाण्डव/महाभारत के ही कथा सुने होहू फेर अब पण्डवानी शैली म कबीर के जीवन दर्शन भी गाये जावत हे अउ श्रोता मन ओतके आनन्दित होके सुनत भी हवय। पण्डवानी शैली म […]