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गीत

बखरी के तुमा नार बरोबर मन झूमरे

बखरी के तुमा नार बरोबर मन झूमरेे, डोंगरी के पाके चार ले जा लान दे बे । मया के बोली भरोसा भारी रे कहूँ दगा देबे राजा लगा लेहूँ फाँसी । बखरी के तुमा नार … हम तैं आगू जमाना पाछू रे कोनो पावे नहीं बांध ले मया म काहू रे । डोंगरी के पाके […]

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गीत

वारे मोर पंडकी मैना संग लक्ष्मण मस्तूरिहा के 9 लोकप्रिय गीत

भारत मां के रतन बेटा, बढिया अंव रे (Bharat man ke ratan beta badhiya anv re) मंय छत्तीसगढिया अंब गा, मंय छत्तीसगढिया अंव रे भारत मां के रतन बेटा, बढिया अंव रे ॥ सोन उगाथंव माटी खाथंव मान ल देके हांसी पाथंव खेती खार संग मोर मितानी घाम सयारू हितवां पानी मोर इही जिनगानी मंय […]

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कविता

सोनाखान के आगी – लक्ष्मण मस्तुरिया

धरम धाम भारत भुइयां के मंझ म हे छत्तीसगढ राज जिहां के माटी सोनहा धनहा लोहा कोइला उगलै खान जिहां सिहावा के माथा ले निकले महानदी के धार पावन पैरी सिवनाथ तीर सहर पहर के मंगल हार जोंक नदी इन्द्रावती तक ले गढ़ छत्तीसगढ़ छाती कस उत्ती बर सरगुजा कटाकट दक्खिन बस्तर बागी कस पूरब […]

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समीच्‍छा

सुजान कवि के सुजानिक छन्द कविता : छन्द के छ

छत्तीसगढ़ी के परथम समरथ कवि पंडित सुन्दर लाल शर्मा के बाद कवि श्री कोदूराम दलित तक छन्द म लिखइया पोठ साधक कवि रहिन. उंकर छन्द म लिखे छत्तीसगढ़ी कविता म जीवन के संदेस समाए हे कवि श्री कपिल नाथ कश्यप जी दोहा चौपाई के भरपूर उपयोग करे हें. दूसर जतका छन्द के समझ वाले छत्तीसगढ़ी […]