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कविता

सुमिरव तोर जवानी ल

पहिली सुमिरव मोर घर के मइयां, माथ नवावव धन धन मोर भुइयां I नदियाँ, नरवा, तरिया ल सुमिरव, मैना के गुरतुर बोली हे I मिश्री कस तोर हँसी ठिठोली ल, महर महर माहकत निक बोली हे I डीह,डोगरी,पहार ल सुमिरव, गावव करमा ददरिया I सुवा,पंथी सन ताल मिलालव, जुर मिर के सबो खरतरिहा I जंगल […]

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कविता

तयं काबर रिसाये रे बादर

तयं काबर रिसाये रे बादर तरसत हे हरियाली सूखत हे धरती, अब नई दिखे कमरा,खुमरी, बरसाती I नदियाँ, नरवा, तरिया सुक्खा सुक्खा, खेत परे दनगरा मेंड़ हे जुच्छा I गाँव के गली परगे सुन्ना सुन्ना, नई दिखे अब मेचका जुन्ना जुन्नाI करिया बादर आत हे जात हे, मोर ह अब नाचे बर थररात हेI बिजली […]

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कविता

मोरो बिहा कर दे

गाँव में सरपंच घर ओकर बड़े लईका के बिहाव में तेल हरदी चढ़त रहीस हे, सगा सोदर सब आय घर अंगना गदबदावत रिहीस फेर ओकर छोटे बाबू श्यामू ह दिमाग के थोरकिन कमजोरहा रिहीस पच्चीस साल के होगे रिहीस तभो ले नानकुन लईका मन असन जिद करत रिहीस I ओहा बिहाव के मायने का होते […]

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गीत

फाग गीत – होली हे

उड़त हे अबीर गुलाल, माते हे मऊहा चार I टेसू फुले, परसा डोले, पींयर पींयर सरसों रस घोरे, दुल्हन कस धरती के सिंगारI उड़त हे अबीर गुलाल, होली हे ——– मऊरे आमा मद महकाएँ, कोयलियाँ राग बासंती गायें I कनवा, खोरवा गंज ईतरायें, नशा के मारत हे उबाल, उड़त हे अबीर गुलाल I होली हे […]

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गोठ बात

रीतु बसंत के अवई ह अंतस में मदरस घोरथे

हमर भुईयां के मौसम के बखान मैंहा काय करव येकर बखान तो धरती, अगास, आगी, पानी, हवा सबो गोठियात हे। छै भाग में बाटे हाबय जेमे एक मोसम के नाव हे बसंत, जेकर आय ले मनखे, पशु पक्षी, पेड़ पऊधा अऊ परकिरती सबो परानी म अतेक उछाह भर जथे जेकर कोनों सीमा नईये। माघ के […]

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कविता

सुन तो भईरी

अई सुनत हस का भईरी, बड़े बड़े बम फटाका फुटीस हे I येदे नेता मन के भासन सुनके कुकुर मन बिकट हाँव हाँव भूकिस हे I पंडरा ह करिया ल देखके, मुंहूँ ल फूलोलिस I कीथे मोर अंगना में काबर हमाये, आय हाबै चुनई त, खरतरिहा बन बड़ रुवाप दिखायेस I सिधवा कपसे बईठे रिहिस, […]

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कविता

अईसने चुनई आथे का

अईसने चुनई आथे का नकटा ह नाचथे, अऊ बेशरम ताल मिलाथे। लाज नीं लागय कोनों ल, कूटहा ल संगे संग घुमाथे। देख तो संगी अईसने चुनई आथे का! मद अऊ मऊहा के हिसाब, करमछड़हा मन बईठ जमाथे। कुकरी बोकरा के रार मचाथे, उछरत बोकरत मनखे चिल्लाथे। देख तो संगी अईसने चुनई आथे का! गाड़ी मोटर […]

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कविता

मोर गाँव के सुरता आथे

कांसा के थारी असन तरिया डबरी, सुघ्घर रूख राई, पीपर,बर अऊ बंभरी I खेत खार हरियर हरियर लहलहाय, मेड़ में बईठ कमिया ददरिया गाय I बारी बखरी में नार ह घपटे, कुंदरू,करेला,तरोई झाके सपटके I चारों मुड़ा हे मंदिर देवालय, बीच बस्ती में महमाया ह दमकय I होत बिहनिया गरवा ढीलाय, कुआं पार मोटियारी सकलाय […]

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कविता

छत्तीसगढ़िया जागव जी

छत्तीसगढ़िया बघवा मन काबर सियान होगेव, नवा नवा गीदड़ मन ल देखव जवान होगे। भुकर भुकर के खात किंजरत, बाहिरी हरहा मन आके ईहाँ पहलवान होगे। सेठ साहूकार मन फुन्नागे, अजगर कस ठेकेदार मोटागे। अंगरा आगी में किसान भुन्जात, दाई ल नोनी के पोसई जीव के काल होगे। मुरहा के अब दिन बिसरगे, करमछड़हा उछरत […]

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गोठ बात

नोनी मन के खेलई कुदई ह हिरदे में मदरस घोलय

बड़ सुघ्घ्रर लागय नोनी मन के खेले खेल म गाना गवई अऊ ओकर मन के इतरई ह, अभी के समे म वोईसना खेलईया नोनी बाबु देखे बर नई मिलय। अईसने लागथे ओखर मन के पहिचान ह नदा गेहे, हँसई खेलई ह लईका मन के सबो ह, बस्ता के बोझ तरी चपका गेहे। का देहात का […]