उदेराम ह गांव ले सहर तक करजा म बिल्लाय राहे। दुरूग म पांच कण्डिल करा एक झन सेठ ह कथे- कस उदेराम तोर मुड़ म अतेक-अतेक करजा हे अउ तैंहा जीयत कइसे होबे। उदेराम कथे- अरे भई तैं रूपियच तो लेबे ना जान थोर लेबे। वाह रे हिम्मत कतको बरोड़ा अइस फेर उदेराम ला कोनो नइ हला पइस। करजा म लदाय राहे।’दु
दुरूग ले भण्डार मुड़ा म गांव बेलौदी। जेकर सोर दुरिहा-दुरिया ले बगरे हे। केंवट, कुर्मी, तेली, गोड़, अउ गहिरा के बस्ती आजो घलो जुरमिल के रहिथे।
डोकरी दाई ह खटिया म परीस ते उठबे नइ करीस। कतनो घांव तो गंगाजल पिया डरे रीहिन फेर तलमलाय ल धर लेवय।
दुरगा ल डोकरी दाई गजब मया करे। डोकरी दाई के तलमलई ल देख के दुरगा पूछ परीस- ‘फेर कइसे आगेस दाई?’ अतका ल सुन के डोकरी दाई कथे- ‘तोर बबा ह खोर्रा गोड़ झन आ कहिके मना कर दिस बेटा। कहां हे अकतरिया ह, लान तो पहिर के जाहूं।’ नाव सोहागा ओइसने गुन सोहागा। अपन दाई-ददा के एके झन बेटी। एती पचकौड़ बबा घलो अपन दाई ददा के एके झन दुलरुवा बेटा। फेर मालिक के मरजी ल का कहिबे। एक ले एक्कइस होइस। इंकर परिवार ह आज सब झन बने खावत कमावत हे।
दू घुंट पानी पियाय के बाद डोकरी दाई ल दुरगा किहिस- ले ना दाई कुछु गोठिया डर। डोकरी दाई तोतरावत किहिस- मैं काला गोठियावं बेटा। गोठियावय त आधा समझ आवय त आधा समझ म नी आवय। तभो ले अलवा जलवा गोठियावत दुरगा ल किहिस। तिंही तो ए घर के सुरूज अस रे बेटा। तीन बहिनी के बाद अवतरे रेहे तेकरे सेती तोला तीतरा कहिथन। जब ले तें हमर घर म अवतरे बेटा तब ले ए घर के बढ़ती होइस। जइसे-जइसे तैं बाढ़े वोइसने-वोइसने ए घर के चीज-बस, मान-सनमान घलो बाढ़िस।
सोहागा दाई दुरगा ल कहिथे- तोला मैं एक ठन बात बतावं रे। दुरगा किहिस- बताना दाई बता ना। देख खइरखा डाड़ म देखत हस। दमदम ले पीपर पेड़ ठाड़े हे। जब मैं गवना आयेंव ना त वोहा मोरे बरोबर रीहिसे। जइसे-जइसे पीपर फरीस फूलीस ओइसने महूं ह फरेंव-फूलेंव। पीपर के घलो डारा साखा बाढ़िस अऊ मोरा डारा साखा बाढ़िस। देख आज वोहा दम-दम ले खड़े हे अऊ मेंहा जाथवं बेटा जाथंव। कहां हे मोर घुरवा बेटा उदेराम ह। उदेराम ह तीरे म बइठे रीहिसे वहू ह अपन दाई के भाखा ल सुनते भार काये दाई, काये काहत ओधिस। आंखी म आंसू बोहाय राहय। फफक-फफक के रोवत रीहिसे उदेराम ह एक सोच के दाई ह चल दिही ताहन मोला खाय बर कोन पूछही कहिके। काबर के पचकौड़ बबा के तो बीस बछर पहिलीच इंतकाल होगे रीहिस। बबा ह चांवरा म रोज संझा के संझा रमायेन पढ़े। सुने बर पारा के सियान मन रोज सेकलावय। पचकौड़ बबा के धरम-करम के फल ह ओकर लोग लइका मन ल मिलीस।
सोहागा दाई अपन बड़े बेटा उदेराम के मुड़ी म हाथ ल राख के कथे- तैं तो मोर घुरवा बेटा अस रे। तैं सहि लेबे अपन भाई मन के बेवहार ल। जइसे अब तक ले सहत रेहे। उदेराम के आंखी ह आंसू के धार धर दिस। उदेराम के आंसू ल तीर म बइठे वोकर बहिन दमांद हलालखोर ह अपन गमछा म पोंछिस।
डोकरी दाई कथे-दुरगा। दुरगा सुन के काए दाई कथे। डोकरी दाई कथे- तोला तोर ददा के एक ठन चाल ल बतावं रे। दाई के गोठ ल सुनके सब सन्न रहिगे। सब झन धियान लगा के सुने ल धर लीन।
डोकरी दाई कथे- तोर ददा ल सिवनाथ ओप्पार रिस्तेदार के घर पढ़े बर जांवरा सिरसा भेजे रेहेन। इसवर के किरपा ले कोनो किसम के कमी नइ रीहिस। बडे बेटा ए कहिके पढ़ाए के भारी बिचार रीहिसे। एहा पढ़ही ते घर ह आगू बढ़ही कहिके। मोर सोन के ढिड़हा ह दुख झन पावय कहिके अकता-अकता चांउर, दार, चना, मसूर अमरावन। अऊ उमन ल चेता के आवन की कुछु काहीं कम परही ते मांग लुहू फेर मोर राजा बेटा ल कोनो किसम के तकलीफ झन होवय। ए बात के धियान वहू मन रखे। बिहनिया ले अंगाकर रोटी ल फदफद ले घीं चुपर देवय। लइका ल कोनो किसम के कमी झन रहो कहिके आघू-आघू ले जोरा करे फेर तोर ददा के धियान पढ़ई-लिखई म लगे त तो। वोहा तो रही-रही के भाग के आ जाय।
ले दे के तीसरी कलास म चढे रीहिसे फेर भाग के आगे। इहां आ के मछरी-कोतरी मरई अऊ फकत डंडा गिल्ली खेलई ओकर बूता राहे। ओकर हरकत ल देख के तोर बबा सन पहुंचाय ल गेन। आखिर टूरा ह भाग के आथे काबर कहिके? उहां जाके बबा पूछ परीस- कस रे उदेराम इमन तोला बने खाए-पीए ल देथे की नहीं। उदेराम ह सोज्झे लबारी मार दिस। नइ दे ददा नइ दे खाय बर। अपन मन भात खाथे त मोला बासी देथे बासी। अपन मन दार सन खाथे त मोला सुक्खा लड़ेर कहिथे। अब तुहीं मन बताव मैं कइसे करौं। अतका ल सुनते भार मैं कछोरा भीर के लड़े बर भीड़ गेंव। अई… तुंहरे खाय बोजे बर अतेक-अतेक चीज बस ल तुंहर घर म ला के भरथन। तभे तो काहंव कइसे दिनाेंदिन लइका दुबरावत हे कहिके। मैं तो कोनो ह गिनाही खवाय होही का कहिके गुनत रेहेंव। फेर मोर बेटा के खून ल तो इमन ह चुहकत हे। चल बेटा अब ए घर म एको घड़ी नइ राखन। नइ पढ़बे ते का होही हमर घर खेत हे, खार हे, घर हे, दुवार हे। ताहन उदेराम ल धर के वापिस लहुट गेन। लहुटगेन काहते-काहत डोकरी दाई घलो अकतरिया पहिर के आंखी ल मुंद दिस। रोहा राही परगे। पढ़ई-लिखई ल छोड़ के जांवरा गांव ले वापिस बेलौदी लहुटे रिहिस ओ समे उदेराम ह चेतलगहा होगे रीहिसे। लबारी मारे रीहिसे तेहा गांठ कस ओकर मन म बंधा गे रीहिसे। आज उदेराम के उमर ह अस्सी ले उपर होगे हे। आधा सुतथे त आधा जागथे। आ जो टन्नक हे। अभी तक ले चस्मा नइ लगे हे। गजट ल अराम से पढ़ डरथे।
जड़काला म रोज के रोज परछी म पेरौसी ल कूड़ो के छेना दबा के ओकर ऊपर पेरा नहीं ते सण्डेवा काड़ी बार के भुर्री के जुगाड़ करथे। दुरगा सुत के उठीस त ओकर ददा उदेराम ह भुर्री तापत बइठे राहे। दुरगा घलो मुंह कान धो के भुर्री तापे बर ऊंखरू बइठ गे। मउका पा के उदेराम ह दुरगा ल पूछथे- कइसे रे काली स्कूल गे रे हे? दुरगा कथे हव ददा। सुनके उदेराम ह कथे- तैं लबारी काबर मारत हस रे। तोला तो मछरी मारे बर डबरा म भीडे रीहिसे काहत रीहिसे। देख बेटा महूं ह तोरे उमर म दाई-ददा करा लबारी मारे रेहेंव तिही पाय के मोला आधा बीच म पढ़ई छोड़ा के गांव लाय रीहिस ओकर परिनाम ए होइस के मैं तीसरी फेल हो गेंव। फेल होय के सेती अपन जीनगी ल नइ गढ़ पायेंव। बाद म मोला भारी पछतावा होइस बेटा। ताहन किरिया खायेंव के मैं ह अवइया पीढ़ी ल पढ़- लिखा के ऊंकर जीनगी ल गढ़हूं। बाबू मुन्सी बनाहूं।
उदेराम ह गांव के तीज-तिहार सामाजिक कार्यक्रम अऊ गांव हीत बर हितवा बनगे रीहिसे। गांव के बइठा म उदेराम के नियाव करई ह सब ल भागे। ठउंका इही समे पटइली चुनई होइस ओमा गांव भर के उदेराम डाहर हाथ उचा के पटइल बना दिस। गांव के सियानी के संगे संग पचकौड़ बबा के जीते जी घर के सियानी ह घलो आगे। धीरे-धीरे ओला राजनीति के भारी चस्का लग गे। उही दरी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप म दुरूग विधानसभा क्षेत्र ले चुनाव लड़ डरीस। केंवट अऊ ढीमरा मन ऊपर भारी भरोसा करे रिहिसे फेर उही मन फांदा ले बुलकगे। जउन डोंगा म नहाकहूं सोचे रिहिस उही ह भुलका होगे। देखते-देखत दू एकड़ धनहा बेचागे।
चुनाव के करजा ल छूटे बर बबा ह कभू-कभू खिसिया के काहय- ए टूरा ह हम्मन ल सड़क म लाय बर किरिया खा हे तइसे लागत हे। उदेराम ह गांव ले सहर तक करजा म बिल्लाय राहे। दुरूग म पांच कण्डिल करा एक झन सेठ ह कथे- कस उदेराम तोर मुड़ म अतेक-अतेक करजा हे अऊ तैंहा जीयत कइसे होबे। उदेराम कथे- अरे भई तैं रूपियच तो लेबे ना जान थोर लेबे। वाह रे हिम्मत कतको बरोड़ा अइस फेर उदेराम ला कोनो नइ हला पइस। करजा म लदाय राहे।
(शेष अगले अंक में)
दुरगा परसाद पारकर
केंवट कुंदरा
प्लाट नं. 3 सड़क 11 आशीषनगर
भिलाई दुर्ग