कान्हा के होली ( छत्‍तीसगढ़ी फाग गीत )

रंग बगरे हे बिरिज धाम मा
कान्हा  खेले रे होली 
वृन्दावन ले आये हवे 
गोली ग्वाल के टोली 
कनिहा में खोचे बंसी 
मोर मुकुट लगाये 
यही यशोदा मैया के 
किशन कन्हैया आए
आघू आघू कान्हा रेंगे 
पाछु ग्वाल गोपाल 
हाथ में धरे पिचकारी 
फेके रंग गुलाल 
रंग बगरे हे …………….
दूध दही के मटकी मा 
घोरे रहे भांग
बिरिया पान सजाये के 
खोचे रहे लवांग
ढोल नंगाडा बाजे रे 
फागुन के मस्ती
होगे रंगा-रंग सबो 
गाँव गली बस्ती 
 रंग बगरे हे ……
गोपी ग्वाल सब नाचे रे 
गावन लगे फाग 
जोरा जोरी मच जाहे 
कहूँ डगर तैं भाग 
ग्वाल बाल के धींगा मस्ती 
होली के हुड्दंग 
धानी चुनरी राधा के 
होगे रे बदरंग 
 रंग बगरे हे …….
करिया बिलवा कान्हा के 
गाल रंगे हे लाल 
गली गली माँ धुमय वो 
मचाये हवे धमाल
रास्ता छेके कान्हा रे 
रंग गुलाल लगाये 
एती ओती भागे राधा 
कैसन ले बचाए 
रंग बगरे हे  …….
आबे आबे कान्हा तैं 
मोर अंगना दुवारी 
फागुन के महिना मा 
होली खेले के दारी
छत्तीसगढ़िया मनखे हमन 
यही हमार चिन्हारी 
तोर संग होली खेले के 
आज हमार हे बारी
रंग बगरे हे …….

श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर, दुर्ग

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7 Thoughts to “कान्हा के होली ( छत्‍तीसगढ़ी फाग गीत )”

  1. बहुत बढ़िया होली| धन्यवाद|

  2. UMASHANKAR MISHRA

    बहुत सुंदर कविता है छंद बद्ध है|हास्य रस भी है|पदने में मन कृष्ण कि भक्ति में डुब जाता है|धन्यवाद-उमाशंकर मिश्रा

  3. DR.ASHISH NIGAM

    sable pahli holi ke badhai
    koti koti pranam kartho dai
    abbad sugghar “FAAG” he tor
    au mithai taiyyar rakhbe mor

    DR.ASHISH NIGAM

  4. Dr.Priya

    “Khub masti hogi ab,
    jAB KANHA sang ho holi,
    Lal Peeli Neeli rang se,
    rang jayegi toli”

    “Kavita Aapne khub rachai,
    HOLI ki bahut bahut badhai….”
    DR.PRIYA

  5. बड़े भईया-भउजी ला प्रनाम.
    डॉ. आशीष अउ डॉ. प्रिया के हिरदे म बसे हमर भाखा के पिरीत देख के अड़बड़ खुसी हार्इस.

    आप सब ल सपरिवार होली तिहार के बधई.

  6. आप सबको होली की बधाईयां

  7. ककरो बिनती सुन होली खेले बर कन्हैया हर आ जातिस तो छत्तीसगढ़ के संगेसंग देश के भी उद्धार हो जातिस.अच्छा फाग.अच्छा रचना,बधाई हो…..

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