राधा अपन अंतस के पीरा ला कभू कोनो ल जनान नी देवय। फेर येकर कोनो नइहे कहिके लोगन जइसने पाथे वइसने ताना मारे मा कमी नी करय। राधा ह बिगर धियान दे अपन रसता आवत-जात रिथे। फेर ककरो बहकावा मा नी अईस। रसता मा कतको झन कुछु-न-कुछु कहात रिथे फेर लहुट के जुवाब कोनो ला नी दे अपने बूता म मगन रिथे।
किसन के राधा हा जग मा मया बगराय के मिसाल बनिस। तेकरे सेती इंकर गुनगान ला हमन करथन। ये जग मा बिधाता हा हमन ला घलो बिगर छोटे-बड़े के भेदभाव के बने मिल-जुल के रहाय अउ चलंय कहिके ये धरती मा भेजे हावे। फेर हमन हा मया मोरी चारी लिगरी ले उबर नी पान। तेकरे सेती जिनगी मा हाय-हाय करत रिथन। अउ काकरो बढ़त ला देख नी सहियारन कोनो अपन मेहनत ले बढ़थे तेनला उठाय के बदला धकेले के परयास होथे। येहा हमर मनखे बर बने नोहे।
फकफक ले उज्जर, गोल चेहरा, लाली टिकली, बांह भर चुरी पहिरे तन मा गहना गुरिया लदाय मरारबारी ले बिहनिया ताजा साग-भाजी ला बिसाके लानथे अउ पारा, मोहल्ला मा किंजर-किंजर के साग भाजी ला राधा हा बेचथे। मुसकाती बदन हा जब देखबे खिले बरोबर रिथे। जेती जाथे तेती देखनी हो जथे। अइसने सुग्घर ढंग ले राधा ह अपन जिनगी के गाड़ी ला चलात हे। राधा अपन अंतस के पीरा ला कभू कोनो ल जनान नी देवय। फेर येकर कोनो नइहे कहिके लोगन जइसने पाथे वइसने ताना मारे मा कमी नी करय। कोनो किथे- राधा तेंहा कुछु मत कर मोर नजर के तीर भर मा राह। तोला रुपिया, पईसा ले मालामाल कर दुहूं। कोनो किथे- राधा अपन जिनगी ला मोर कर बिताबे ते तोला कोनो दु:ख-पीरा दुरिहा ले देखे बर नी मिले। कतको अकन अईसन हाना राधा ल सुने बर मिलथे तेकर लेखा नईहे। राधा ह बिगर धियान दे अपन रसता का आवत जात रिथे। फेर ककरो बहकावा मा नी अईस। रसता मा कतको झन कुछु-न-कुछु कहात रिथे फेर लहुट के जुवाब कोनो ला नी दे अपने बूता म मगन रिथे।
दाई-ददा के कोरा के सुख ला बिचारी कभु जानबे नी करिस। जनम देते भार दाई हा ये दुनिया ले बिदा ले डरिस। होस संभालिस तबले ददा हा पी-खाके परे रहाय। बचपन के सुख काय होत तेनला राधा हा जानबे नी करिस। ददा हा राधा के पालन-पोसन ला करतिस, फेर ददा के लाचारी ला देखके राधा ला खाय-पीये के बेवस्था खुदे ला करे बर परगे। उल्टा हा पईसा, कौड़ी बर घलो नानचुन लईका राधा ल तगांय। पईसा के बेवस्था नी होवय। तहाने मार-धार करय। कोनो भाई न कोनो बहिनी, लरा-जरा मन ददा के बेवहार ला देखके नता रिसता ला टोर डारे हावें। राधा ला अपन भार समझत ददा हा नानपन मा मंदहा सन बिहाव ला कर दिस।
दाई-ददा के सग गुदेलना सहे बरोबर जिनगी होगे। ससुरार मा आके मनखे संग सास-ससुर के गुदेलना ला सुने बर परत रिहिस। जईसने बेवहार राधा संग ददा हा करय उही बेवहार राधा के गोसइया का करय। मार-पीट मा हलकान होगे राहय। घर में पुरती नी होवय त राधा हा कमाय बर जाय। पईसा के कमी होवय त गोसईया घलो मार-धार करय। पईसा-कौड़ी कमी होइस त गोसइया अउ सास-ससुर मन राधा ला घर ले निकाल दिन। राधा हा घलो अपन एक झन लईका ल धरके घर ले निकलिस। रिसता नता सबो के गुदेलना हा आज राधा ला ये लईक बना दे हावय के कोनो कतको काही कहिदे वोला, फरक नी परना हे। अब तो घाटा मर गेहे। सुरू में बिचारी बड़ सरमाय अउ कईसे करहूं सोचे। फेर पुरुसोतम गुरुजी ले मिले होसला हा अतेक बाढ़त गिस के पीछु लहुट के देखबे नी करिस।
आज पुरुसोतम गुरूजी नइहे फेर वोकर असीस बरोबर बने हावे। दर-दर के ठोकर खाय लइक होगे रिहिस। पहिली राधा हा कोनो ला हुत कराय ते लहुट के नी देखे। काबर राधा हा कोनो मदद मांग लीहि त। तेकर सेती अपन-अपन ले मुंहु लुकाय। अभीन राधा ला बिगर के हे रूपिया, पईसा, सोना, चांदी मा तउले बर तियार हे। राधा पहिली घलो उही रिहिस हे, अभीन घलो उही हावे, फेर लोगन के भावना काबर बदलगे? तेनला गुनत रिथे। कान नाक ला बोजे अपन बूता म मगन रिथे। पारा के माई लोगन भीतरे-भीतर जलत रिथे। येहा माइलोगन होके टुरा जात असन सबो बूता ला कर डारथे कहिके। राधा हा गांव के इसकुल मा जाने बुझे के लईक दु चार अक्छर पढ़ घलो डरे रिहिस हे। मेहनत ले कुछ पईसा बाच जथे तेला बैंक मा जमा घलो कर देथे। राधा हा जानत हे ऊपर वाले के लिखा ला कोनो मेटा नी सकय।
मेहनत ईमान के रद्दा सबले सुन्दर हारथे येहा कभू नी हारय। इही आस हा आज राधा बर रद्दा देखात हावे। सबके होवत हा राधा ला अतेक तपा दे हावय के कतको बड़ मुसीबत आही तेनला अईसने झेल डारही। गली-गली मा गोहार पारे हे, बिचारी मोला थोरिक मदद कर देव कहिके कोन-कोन ला नी केहे होही।
अपन मया के बंधना मा सबला बांधिस। तभे तो आज कोनो मेर माथ हा नवे नई हे। अउ जेनहा नवाय बर लगे रिथे तेनला पता चल जथे येकर पाछु परना बने नो हे कहिके। एक झन लईका हावे तेनला बने सहर के इसकुल मा पढ़ात हावे। इात मान-सम्मान ले लोगन के गुदेलना ला बिगर डरराय उही गुदेलना ले सीख लेके आज राधा हा समाज बर मिसाल बनगे।
दीनदयाल साहू
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नेहरू नगर, भिलाई