छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल : मितानी

इही ल कहिथे मितानी संगी
बनथे जउन ह  छानी  संगी।
दुख के घड़ी म आँसू पोंछय
ओकर गजब कहानी  संगी।
अनीत-रद्दा म जब हम रेंगन
कहिथे करु-करु बानी  संगी।
झन राहय टुटहा कुरिया  फेर
राहय गजब सुभिमानी  संगी।
जिनगी म कतको बिपत आये
करय  झन  ओ  नदानी  संगी।
बलदाऊ राम साहू 
9407650458

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