जब पवन दीवान दऊड़ म अव्वल अइस

सुरता

राजिम तीर के कोमा गांव म साहित्य म रुचि रखइया के कमी नइ हे। इही गांव काबर आसपास के बहुत अकन गांव म घलो साहित्यकार अउ कवि मन के अइसे छाप पड़े हे के लोगन अपन लइका के नाव घलो कवि मन के नाव जइसे धराय-धराय हवे।
वइसे तो राजिम क्षेत्र के जम्मो भुंइया साहित्यकार मन बर बड़ उर्वर हे। राजिम जिहां पवन दीवान, पुरुषोत्तम अनासक्त, कृष्ण रंजन, छबिलाल अशांत, विशाल राही जइसे साहित्यिक सपूत मन जनम लिस। वइसने मगरलोड, किरवई अउ कोमा में घलो बड़े-बड़े साहित्यकार मन पैदा होय हे। कोमा अइसन गांव हे जिंहा जनम धरे साहित्यकार मन राष्ट्रीय स्तर में अपन पहचान बना के छत्तीसगढ़ के माथा ल ऊंच करत हे। एमा श्री रवि श्रीवास्तव, एकांत श्रीवास्तव, निर्मल आनंद अऊ मांझी अनंत के नाम ले जा सकथे। मोला इही गांव म 14-15 बछर ले सहायक शिक्षक के रूप में अपन सेवा देय के मउका मिलिस।
ए गांव म साहित्य म रुचि रखइया के कमी नइ हे। इही गांव काबर आसपास के बहुत अकन गांव म घलो साहित्यकार अउ कवि मन के अइसे छाप पड़े हे के लोगन अपन लइका के नाव घलो कवि मन के नाव जइसे धराय-धराय हवे। उदाहरण खातिर एक झन लइका के नाव रहिस रवि रंजन। ये नाव व रवि श्रीवास्तव अऊ कृष्णा रंजन के नाव के एक-एक सब्द ल मिला के बनाए गे हे।
बात ओ समय के आय जब प्रायमरी स्कूल म केंद्र स्कूल के बेवस्था चालू रिहिस। तब टूर्नामेंट सबले पहिली केंद्र स्कूल स्तर म होय। एक केंद्र में कम से कम 5-6 स्कूल राहय। बारी-बारी से हर गांव में केंद्र स्तरीय टूर्नामेंट होवय। तब हमर प्राथमिक शाला कोमा ह केंद्र स्कूल रिहिस। ऊंहा के प्रधान पाठक श्री विशाल राही जी रहिन। ये केंद्र म सेम्हरतरा, कुम्ही, किरवई अउ धमनी के स्कूल घलो सामिल रिहिस। वो साल केंद्र स्तरीय टूर्नामेंट के आखरी चरण में टूर्नामेंट कोमा में आयोजित करे गे रिहिस। टूर्नामेंट दू दिन के राहय। उद्धाटन ल स्थानीय गणमान्य जइसे सरपंच या जनपद सदस्य मन से करवा ले जाय फेर समापन अउ पुरस्कार वितरण बर बड़का नेता ल मुख्य अतिथि बनाय के परम्परा रिहिस।
दू दिन के टूर्नामेंट के बाद समापन अऊ पुरस्कार वितरण के बेरा रिहिस। एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पवन दीवान जी बुलाए गे रिहिन। मंच संचालन महोदय जितइया लइका मन के नाव ले-ले के बुलावत राहय। दीवान जी लइका मन ल इनाम बांटत राहंय। अचानक मंच संचालक बोलथे 100 मीटर दौड़ में प्रथम पवन दीवान। अतका ल सुन के पवन दीवान घलो सन्न खा गे। मंच संचालक गलती तो नी बोल परिस या दिल्लगी तो नी करत हे। कार्यक्रम म संघरे कतको नवा आदमी मन समझथे हो सकथे बड़का मन के घलो दऊड़-वउड़ रखे गे रिहिस होही तेमा पवन दीवान अव्वल अइन हो ही। ओतके बेर लइका मन के लइन ले छोटे पवन दीवान दउड़त आके बड़ पवन दीवान के आगू म खड़े होगे। बात दीवान जी सहित सब्बो झन के समझ म आगे। वो लइका के नाव पवन दीवान रिहिस जउन कुम्ही स्कूल ले टूर्नामेंट म भाग ले के 100 मीटर दऊड़ म प्रथम आय रिहिस। तब पवन दीवान जी के वो ठहाका फूटिस जेखर बर उन जगत विख्यात हवै। अबड़ देर ले पूरा आयोजन स्थल ठहाकाच म माते रिहिस।
केहे जथे लोकप्रियता सिर चढ़के बोलथे। ये साहित्यकार के लोकप्रियता के असर नोहे ते अउ का आय जउन बाप ल अपन बेटा के नाव पवन दीवान रखे के लोभ ले नी बचा सकिस।

दिनेश चौहान
शीतलापारा, नवापारा राजिम

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