तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग।
मनखे ल हर के मनखे के छईंहा लेगे ग॥
एक मंजला दू मंजला होगे,
दू मंजला ह तीन मंजला।
नांगर जोतइया, बांहा बजइया,
होवत हे निच्चट कंगला॥
जम्मो सुख-सुभिता बाबू, भईया लेगे गे।
तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग॥
खुरसी खातिर जात बांटय,
बांटय धरम-ईमान।
बोट खातिर मनखे बांटय,
बांटय ग भगवान॥
रावन हर लोकतंत्र के सीता, मईया लेगे।
तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग॥
घुघवा बइठे सिंहासन म,
ठोंकत हांवय इहां ताल।
गांधी जी के टोपी पहिरे,
सब बनगे हंवय दलाल॥
पईसा बिचारी ल उड़रिया, रुपईया लेगे ग।
तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग॥
अपने दोंदर भरत हंवय
करजा ऊपर ले के करजा।
अंधवा, भैरा कानून होगे,
जीते-जीयत मरगे परजा॥
सरी सरकारी माल साहेब, सिपईहा लेगे ग।
तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग॥
गदहा खावय खीर-सोंहारी,
घोड़ा हर खावय कांदी।
मंत्री-संत्री, बनके कंत्री
लुवत हंवय सब चांदी॥
घर के घन-दोगनी घर, रखईया लेगे ग।
तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग॥
–
डॉ. पीसीलाल यादव
गंडई, पंडरिया
राजनांदगांव
ये देश है किसानों का फिर सदियों से भूखा ही है।
दुनिया के पेट को रोटी देने वाला दाने-दाने को तरसता क्यों है यह सवाल काफी अहम है।
यादव जी ने बहुत ही ज्वलंत बात लिखी है।
apn dondr bhrt havy
krja uppr leke krja
andhva bhaira kanun hoge
jite jiyt mrge parja
mja age bhaiya———–badhaiiiii
uppr le sansad mn ke pet nai bhat he 5 guna baday ke bat krt he
apn dondr bhrt havy
krja uppr leke krja
andhva bhaira kanun hoge
jite jiyt mrge parja
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