पानी ल ये धरती म लाने बर पौराणिक काल में सूर्यवंशी महाराज राजा सगर के साठ हजार लईका मन अपन जिनगी के बलिदान कर दिन। ओखर पाछू महाराज भागीरथी ह अपन पूरखा मन ल उबारे खातिर बर कठिन तप करके भुईयां म ले के अइस। भात बासी अऊ रोटी के बिगन मनखे ह दुचारआठ दिन जी सकथे। फेर पानी के बीगन दु चार घंटा घलो नई जी सकय। जऊन पानी के अतेक महातम हे, उही पानी ल, अऊ नंदिया ल मनखे जाति मन घोर परदूसन के कगार म लेग दे हे। मनखे मन अपन सुवारथ बर प्रकृति के देन नंदिया ल घुरवा गागर बना डरे हे। अब सवाल ये हे के पानी ह कोन परकार ले परदूसित होवत हे।
अऊ काखर ले परदूसित होवत हे। आज ले पच्चीस तीस बछर पहिली जम्मो बिस्व म ‘औद्योगिक क्रांति’ अइस। भारत म घलो कल कारखाना लगिस। भारत म पानी ल परदूसिता करत हे तेल रिफायनरी, खेती म काम आय के रासायनिक खातु बनाय के कारखाना मन ले निकलईया कुराकरकट से सोझे नंदिया म जाके मिले ले होवत हे। सामाजिक अऊ आर्थिक रूप ले बड़हर छत्तीसगढ़ के संगे संग सबो राज्य म नवा-नवा कल कारखाना लगाय जात हे। कारखाना ह नंदिया अऊ पानी ल परदूसित करे म सब ले आगु हे। खातु अऊ किरा मकोरा ल मोर के दवाई बनाय के कारखाना म कई किसम के अलकोहल के उपयोग होथे। कारखाना ले निकलइया पानी ल सोझे नंदिया म छोड़ देथे। जेकर ले ऊंहा के जीव जंतु अऊ मछली घलो नंदावत हे। उत्तर भारत म गंगा मईया ल पतीत पावनी कहिथें। कहिथें के जब तक हिमालय रहिही अउ जब तक गंगा मइया रहिही तब तक पानी के कोनो अकाल नई राहय। गंगा के पानी ल पीये म पवितर मानथे। फेर उही गंगा के पानी ह थोर परदूसित होगे हे। अऊ पीये के लइक नइ रहि गे हे। उद्योग अऊ मनखे के आबादी के कुरा करकट अऊ मलमूत्र ह गंगा ल परदूसित कर दे हे। नंदिया के पानी के परदूसन ले कुंआ तरिया अऊ बोरिंग के पानी घलो ह परदूसित होगे हे। इही परदूसित पानी के पीये ले ऊंहा के रहईया मन अनजाने म बिमार होवत हे।
नंदिया के मानव जीवन म कतका महातम हे ऐखर ताजा उदाहरण आप मन के आगु म हे। जब अमेरिका के हवाई क्षेत्र म उड़ईया जहाज के इंजन म खराबी आय के कारण ओला पायलट ह हड़सन नंदिया म सुरक्षित उतार दिस अऊ ओखर जम्मो सवारी ल बचा लिस। कोनो ओ जगा नंदिया नइ रितिस त ओ जहाज अऊ सवारी के का हालत होतीस। हमर छत्तीसगढ़ म छोटे-बड़े नंदिया मिलाके इंक्यावन ठन नंदिया बोहाथे। जऊन ह मनखे मन ल जीवन परदान करथे। फेर मनखे मन के नासमझी के सेती नंदिया मन अपन अस्तित्व बचाय बर घलो लड़ई लड़त हे। धर्मान्ध मनखे मन पूजा पाठ हवन के अधजले समान ल झिल्ली अऊ बोरी म भर के सोझे नंदिया म फेंके देथे। येखर ले नंदिया ह पटावत जाथे अऊ उथला होवत जाथे। पहिली जमाना म मुड़भर पानी म पईसा गिर जय तेहा दगदग ले दिख जय। अब माड़ी भर पानी म घलो खोजे ले नई मिलय काबर कि पानी गंद ला अऊ लद्दी हा होगे हे। त समय रहत नंदिया नरवा तरिया ल बचाय खातिर गांव-गांव म अऊ नंदिया के तीरे तीर के आखा-बाखा के गांव मन म सरकार डहार ले जन जागरूकता चलाय के जरूरत हे। मेला डाहर ठउर अऊ धार्मिक जघा म नंदिया तीर के गांव नदी बचाबो अभियान चलाय के जरूरत हे। अऊ ऐखर बर सरकार ल घलो ठोस कदम उठाय के जरूरत हे। ‘नंदिया के पीरा’ ल समझे के जरूरत हे।
पूजा पाठ के अवशिष्ठ ल सोझे नंदिया म मत डारौ। ऐकरे बार नंदिया के मेला अऊ धार्मिक तीरथ म ईटा सिरमिट ले दुतीन हाथ गङ्ढा गोल कुंआ बरोबर बना दय। जऊन ल विसर्जन कुण्ड के नाम दे देवय। कुण्ड म पूजा पाठ के अवशिष्ट ल डारय। भरजय तहां ले ओला विधि विधान ले बने ढंग ले जला देवयं। येखर ले नंदिया के पानी घला परदूसित नई होवय अऊ अवशिष्ट के बने जले ले भगवान घलो परसन हो जही। त हे मनखे हो अभिन ले जाग जव कहिथेन ‘जब जागे तभी सबेरा’ हमर देश म नंदिया के जाल बरोबर बिछे हे फेर तभो ले इहां के लोगन प्यासे अऊ भुखमर्रा हे। नंदिया नरवा ल बड़े-बड़े कल कारखाना मन लिलत जात हे। येखर ले बड़े-बड़े उद्योगपति अऊ सरकार ल फायदा हे। फेर पाछू मुड़ के देखहु त सबो ल नुकसान हे।
पइसा के खातिर नंदिया ल अपन जागीर मत समझव। आज नंदिया ह अपन चिन्हा ल बचाय खातिर मनखे मन ले गोहार लगाते हे। फेर वाह मनखे। तो कान म पोनी गोंजाय हे काला सुनिहौ। नंदिया मनखे परानी के महतारी के समान हरे। नंदिया ह कइसे अपन कोरा म बसे गांव मन ल छाड़ हर कर देथे। ओखर बलदा हमन का देथन नंदिया ल। अपन घर दुवार अऊ उद्योग के कचरा ल लेग के डार देथन नंदिया म। ये ठीके बात नइये। जल जलवन ए अऊ नदी देस के जीवन रेखा। ऐखर सम्मान करव ये ला परदूसित होय ले बचावव।