1.नशा हॅ नाशी होथे
नशा हॅ नाशी होथे
सुख के फाॅसी होथे
घिसे गुड़ाखू माखुर खाए
दाँत हलाए मुँह बस्साए
बीड़ी म खाँसी आथे
गुटका खाए पिच पिच थूके
दारू पीए कुकुर अस भूँके
धन के उद्बासी होथे
चिलम तिरैया के आँखी धँसगे
जवान बेंदरा सहीन खोखसगे
जग म हाँसी होथे
ए तो सुनेव बाहिर कहानी
घुना जथे संगी जिनगानी
लइका लोग करलासी होथे
बिनती हे मोर कहना मानव
नशा छोड़े के अभी ठानव
देखव उल्लासी होथे।
2. नइ बाँचय तोर चोला रे
नइ बाँचय तोर चोला रे
नइ बाँचय तोर चोला रे
अहो नशा के मारे
बीड़ी पीयत मजा लिए जी फुर्र फुर्र
ताहेन ले पाछू बर खाँसे तै खुर्र खुर्र
घेर के बइठे हावय बलगम हँ तोला रे
चीलम ल तीरे तैं गाँजा गठ गठ के
बेंदरा कस मुँह दिखे तन तोर खोखस गे
होगेस नीचट लुड़़गू आँखी दिखे खोलखोला रे
शीशी शीशी दारू पीए होश ल गँवाए
घर होगे तीड़ी बीड़ी धन ल सिराए
देखबे केक ले दबाही केंसर तोला रे
दाँत पोण्डाथे जी मंजन अउ गुटका
पिच पिच थूके बर माखुर ल मत खा
बस्साथे मुँह तोर लाज लागै नहीं तोला रे
3.मोर बात सुनव रे
मोर बात सुनव रे
मोर बात सुनव जी
ए नशा वशा ल छोड़व
बिन मौत तुमन मत मरव
तन ल घोरय मन ल मारय
अउ धन ल सिरवावय
जिनगी म ए जहर घोरय
जग म हँसी उड़ावय
जान बूझ के ए नदानी
तुमन झन करव रे
जतका के तुम लेथव दारू
मंजन बीड़ी गुटका
उहीं पैसा के दूध दहीं घीं
अउ फल फूल ल तो खा
देख लेहू सेहत बन जाही
मोर विश्वास करव रे
धमेन्द्र निर्मल
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