अपन मया ल देखाय बर एक तिहार मनाये जाथे। जेन ल ‘वेलेन्टाइन डे’ कहे जाथे। येला आज जम्मो दुनिया के मन मनाथे। आज मया खतम होगे हावय। तभे तो ओखर बर एक तिहार मनाये बर दिन निश्चित करे हावंय। 14 फरवरी के दिन वेलेन्टाइन नांव के संत पैदा होय रहिस हे। ओ ह परेम के जोत जलइस। सही म आज ये जोत के जरूरत हावय।
फेर येखर रूप ह बदल गे हावय। ये जोत ह सत के आगू म नई जलत हे, ये ह आज असत के आगू म बरत हावय। आज के युवा पीढ़ी येला दूसर रूप म लेके एक दूसर के आगू म परेम के इजहार करत हावंय। परेम देखाय के चीज नोहय। ये ह एहसास करे के चीज आय। एहसास ल फूल-पत्ती देके या फेर हाथ म हाथ धर के बताय के जरूरत नइए।
परेम के एहसास आंखी ले ही हो जाथे। परेम तो सबके बीच म होथे। एक लड़का या एक लड़की जब लइका रहिथें तब सबले पहिली परेम के एहसास महतारी ले होथे। जब वो ह अपन छाती ले चिपका के लइका ल मया करथे। एक बाप अपन कोरा म लइका ल ले के मया करथे। ये ह परेम के सुग्घर रूप आय।
दादा-दादी जब नाती के खेलना-कूदना ल देखके मुचमुचाथे अउ बुखार म परे लईका ल देखके चुपे एक तीर म बइठे रहिथें। रात-भर सुते नहीं तेन ह मया होथे। ये परेम ल, मया ल फूल धर के बताए के जरूरत नइए। नान-नान लइका अपन दादा-दादी के मया ल समझ के ओखर तीर घेरी-बेरी जाथें। महतारी के डांट अउ ददा के आंखी ल देखके अपन दादी के लुगरा म मुंह ल लुका लेथें। दादी ल ‘आई लव यू’ कहे के जरूरत नइए। न तो महतारी-बाप ल या फेर भाई-बहिनी ल ‘परेम करथंव’ कहे के जरूरत हावय।
आज के युवा ह परेम के परिभाषा ल बदल दे हावयं। आज के युवा आपस म परेम करथें। ये तो प्रकृति के नियम आय। स्त्री -पुरुष के बीच म खिंचाव होथे। फेर ये खिंचाव ल दिखाना आज के पीढ़ी म जरूरी होगे हावय। एहसास के भाव खतम होगे, मर्यादा के दायरा ह खतम होगे। रामायण म लक्छमन रेखा खींच के लक्छमन ह नारी के मर्यादा ल संसार के आगू म रखे रहिस हे। आज कोनो-कोनो जगह म ये मर्यादा दिखथे। ‘वेलेन्टाइन डे’ आज ये मर्यादा ल पूरा खतम कर दे हावय।
आज ये जाने के जरूरत हे, के ये ‘वेलेन्टाइन डे’ शुरू कइसे होइस। ओखर बाद प्यार के इजहार काखर तीर करना अउ कइसे करना ये सोचे के विषय होही। वैलेन्टाइन फ्रांस के एक संत रहिस हे। संत ह जेल म रहिस हे। ओखर ले जेलर के बेटी मिले बर आवय। संत के मरे के बाद कुछु पाती मिलिस। अइसे समझे गीस दूनों झन के बीच म पतराचार होवत रहिस होही। एक ठक पाती के नीचे म लिखे रहिस हे ‘तुम्हारे वेलेन्टाइन की तरफ से’ ओखर नीचे हस्ताक्छर रहिस हे। सब झन समझिन के ये ह वेलेन्टाइन के लिखे आय। ओखर बाद ये चलन होगे तुंहर वेलेन्टाइन डाहर ले लिखे के।
14 फरवरी के दिन ये परेम के प्रगट करे दिन बसंत ऋतु के कारन चुने गे हावय। विदेश म 15 फरवरी बसंत के आगमन के दिन होथे जब ऐला खुशी-खुशी मनाए जाथे। ये विदेश के परेम के कीरा हमर देश के सम्बन्ध अउ परेम ल खा डरिस। येला आज एक दिसा देय के जरूरत हावय।
सुधा वर्मा