भइया बबा दीदी हो
सुन लेवा मोरो नाव।
तुहर मन के किरपा होतीस
लड़ते पंचायत चुनाव
पांच सौ रुपया देहुं तुमन ल
काकी भौजी बर इलियास लुगरा।
घर-घर जाय बर चालू करव
खा-खा के देशी कुकरा॥
चेता देबे कका ल भइया
अन्ते तन्ते बिछाथे।
पइसा मांगही त पइसा देबो
गाविन्दा कका बताथे॥
आज पारा के बइठक करवाहु
परतेव सब बड़े-बड़े के पाव।
बोकरा दारू खवातेव पियातेव
लड़ते पंचायत चुनाव॥
पांच पेटी दारू मंगवाहू
सौठन बनारसी सारी।
एक साडी एक पऊवा एक घर म
बाटे जाहू घर-घर के दुवारी॥
दुबराज धान के चांऊर लेहू
राहेर दार दरवाय बर देहू।
संझा बिहनिया बुले आहू
खाय बर रोटी गेहूं॥
एक बेर मोला जितवा दव
हाथ जोड़ के कइहा सब गांव।
तुहर सब काम करवाहूं
लड़ते पंचायत चुनाव॥
कका-काकी कहत रहीस
फारम एक बेर भरते।
सब गांव तो हमरे पार हे
तोरो नाव करते॥
मोहन ल हमन बुलाबो
शिवलाल ल देबो देशी पाव।
महाबीर सीकरेट बाटही
लड़ते पंचायत चुनाव॥
श्यामू विश्वकर्मा
नयापारा डमरू
बलौदाबाजार