- खूंटा म साख निही, गेरवा के का ठिकाना
- लोक कथा : लेड़गा मंडल
- आज के सतवंतिन: मोंगरा
- फेसबुक म अफिसर बनकेे मोटियारी ल फंसाइस, फेर धांध दीस
- भईसा गाड़ा के चलान
- नवा साल मं
- सुखदेव सिंह अहिलेश्वर”अँजोर” के छंद
- जवाब मांगत एक सवाल
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – विभक्तियाँ
- नई उतरिस बिच्छी के झार पटवारी साहेब ला परगे मार
- जइसे खाबे अन्न तइसे बनही मन
- आम जनता के गणतंत्र
- छत्तीसगढ़िया कहाबो, छत्तीसगढ़ी बोलबो अउ चल संगी पढ़े ला
- मन डोले रे मांग फगुनवा …. बादर के दिन म फागुन लावत हें भाई लक्ष्मण मस्तुरिहा
- दिखय नही ओर-छोर, त का करन
- श्रीयुत् लाला जगदलपुरी जी के छत्तीसगढ़ी गजल – ‘दाँव गवाँ गे’ अउ ‘जहर नइये’
- कबिता : हाबे संसो मोला
- घर के फुलवारी
- होली गीत
- राज्योत्सव मेला
- मोर मयारू गणेस
- समाज म जऊन सबसे गरीब, सरकार के वो सबसे करीब : डॉ. रमन सिंह
- छत्तीसगढ़ के वीर बेटा – आल्हा छंद
- कहिनी : लछमी
- उर्दू शेर के अनुवाद
- गुरतुर गोठ : छत्तीसगढी
- लघुकथा-किसान
- मुख्यमंत्री ह लोकप्रिय ‘पंडवानी’ गायक श्री पुनाराम निषाद के निधन म गहरा दुःख व्यक्त करिन
- हरि ठाकुर के गीत: सुन-सुन रसिया
- गज़ल : छत्तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 5
- नवरात्र परब : मानस में दुर्गा
- मानक बिना मान नही
- मोर मन के बात
- दीया अउ जिनगी
- आँखी मा आँखी
- बसंत पंचमी अउ ओखर महिमा
- हमर बोली-भासा
- आकाशवाणी ले ’रमन के गोठ’ के प्रसारण
- आसो के जाड़
- दुर्ग म प्लेसमेंट केम्प के आयोजन 8 मार्च को
- सोरिहा बादर – गुड़ी के गोठ
- मैं जनम के बासी खावत हौं
- छत्तीसगढ़ी गोठियावव अऊ सिखोवव – बेरा के गोठ
- छत्तीसगढ़ी राजभासा दिवस खास – छत्तीसगढ़ी भासा के अतीत, वर्तमान स्वरूप
- छत्तीसगढ़ी भाखा हे : डॉ.विनय कुमार पाठक
- नरसिंह दास के सिव के बरात
- किसान के पीरा
- जइसे खाय अन्न वइसे बनही मन
- चौपाई छंद – सर्दी आई
- राजिम नगरी
- गरमी के भाजी
- ददा
- अब के गुरुजी
- गजल
- गरीबा महाकाव्य (छठवया पांत : तिली पांत)
- काम काजी छत्तीसगढ़ी, स्वरूप, अउ संभावना
- हमर छत्तीसगढ़
- मधुमास
- अनुवाद : आशा के किरण (The Silver Lining)
- नैन तै मिला ले
- सेहत के खजाना – शीतकाल
- पारंपरिक लोक गीत : मोर मन के मजूर
- कहिनी : नोनी दुलौरिन
- बियंग : भइंस मन के संशो
- धरती म समावय निस्तारी के पानी – गुड़ी के गोठ
- संपत अउ मुसवा
- योग करव जी (कुकुभ छंद)
- कविता- बसंत बहार
- कहिनी – जिनगी के खातिर
- छत्तीसगढ़ी भूल भूलैया
- छन्द के छ : उल्लाला
- टुरी देखइया सगा
- दिव्यांग लइका मन बर हॉफ मैराथन दौड़ के आयोजन
- जस गीत : कुंडलिया छंद
- जागव जी : अपन बुध लगावौ जी
- राहट, दउंरी ‘दउंरहा’ अऊ चरका
- हीरा सोनाखान के
- भारत के बाग
- राज काज म लाबोन
- तभे होही छत्तीसगढ़ी भाखा के विकास
- गॉंव कहॉं सोरियाव हे : गॉंव रहे ले दुनिया रइही – डॉ. चितरंजन कर
- हरि ठाकुर के ‘सुराज के पहिली संग्राम’ के अंस
- असल जिनगी म तको ‘नायक’ हाबे मनु फिल्म मेकर
- कबिता : नवा बछर के गाड़ा -गाड़ा बधाई
- छत्तीसगढ थापना परब अउ बुचुआ के सुरता
- खिलखिलाती राग वासंती
- कहिनी : ममता
- बखत के घोड़ा
- बंटवारा
- बरखा गीद
- अपन-अपन भेद कहौ, भैरा मन के कान मा
- दिनेश चौहान के छत्तीसगढ़ी आलेख- सेना, युद्ध अउ सान्ति
- नउकरी लीलत हमर तीजतिहार
- छत्तीसगढ़िया कहां गंवागे
- बड़े दाई
- छत्तीसगढ़ी लघु कथा : दांड़
- बियंग : करजा के परकार
- स्वच्छ भारत के मुनादी
- गुड़ी के गोठ : महतारी भाखा म कब होही पढ़ई..?
- असमिया धुन मा छत्तीसगढ़िया राग, छत्तीसगढ़ मा होइस पहुना संवाद