सइताहा – कहिनी

परेम के गौटिया घर अवई हा फलित होगे। चार महिना की बीते ले गौटनिन के पांव भारी होगे। दूनों परानी ल गजब खुसी होगे। मानो दुनिया के जम्मो सुख वोकर आगू मे आगे। लइका के लालन-पालन म दूनो परानी ह जम्मो बेरा ल पहा दय। सबो खेती -खार के देख-रेख ल परेम ह करय। एक दिन उदुप ले परेम ह गौंटिया घर ल छोड़के पटइल बाड़ा म रेहे ल चल दिस। वोकर मन के बात उही जाने मंगतू गजब पुछिस फेर परेम ह एक भाखा नई बकरिस।’
ब गांव म काकरो घर चिट्ठी आना मामूली बात नो हे। वहू म सरकारी चिट्ठी। काकरो घर म आथे त गांव भर म सोर उड़ जथें। काबर अइस काकर बर, अइस गांव-गांव जान डारथे। फेर मंगतू गंउटिया घर के चिट्ठी के सोर नइ उड़े। उंकर घर तो महीना -पंदराही म चिट्ठी आतेच रइथे। चिट्ठी झोकत-झोकत ओकर उम्मर बितथे। गांव म कोनो पढ़हे-लिखे ल नइ जानत रिहिस ते समय के ओकर घर म चिट्ठी आवत हे। अब तो वोकर नानकुन टूरा रतनू ह चिट्ठी पढ़ डारथे। पोस्टमेन ह साइकिल के ठिनठिनी बजावत अइस अउ ठउका मंगतूच के दुवारी म टेकाइस। मंगतू ह मुहाटी म चोंगी पियत बइठे रिहीस। अपन ह चिट्ठी ल नई झोंकिस- जात रे रतनू पेरन्हा खार के पेसी के चिट्ठी ल झोंक। डोकरा ह चिट्ठी के रंग ल देख के जान डारथे पेसी के हरे किके। रतनू ह चिट्ठी ल झोकिस। उदास मन ले काहत हे अउ कतका दिन ले पेरही ये पेरन्हा खार के पेसी ह। मंगतू ह भले आधा उमर के होगे फेर ओकर मन म गजब बिसवास भरे हे। रतनू ल समझावत किथे- हमर जियत भर लड़बो थाना कछेरी ल। ये हर हमर पुरखा के चिन्हा ये।
मंगतू ह अपन आगू के दिन ला सोरियावत हे। सौ एक्कड़ के जोतन दार मंगतू गौटिया काहत लागय। नाव हे मंगतू फेर ओकर दान-धरम ल गांव-गांव जानथे। मंगतू के दुवारी ले कोनो दुच्छा नई लहुटत रिहीस। गजब खेती बाड़ी अउ रूपिया-पइसा वाला रिहीस। आदत बेवहार म देवता बरोबर माने गांव वाला मन। ओकर पूछे बिना गांव म एक ठन काड़ी नई डोलत रिहीस। मेला -मड़ई होवे चाहे रमायन कीरतन। मंगतू गौटिया अगरबत्ती बार के सुरू करय। जम्मो परमुख काम म अगवा बरोबर ठाड़हे राहय।
हांसी-खुसी ले सबो काम ल सीध पार के घर जाय ताहन वोकर मन उदास हो जाय। दुवारी म चढ़ते साथ गउटनिन के उतरे चेहरा। मंगतू ह कुछू केहे नई पाय रिहीस। गउटनिन के सुरू ‘दिन भर तोला घर-दुवार के संसो नई राहय। बेरा उतरथे त घर डहर लोरहकथस। तोर अइसने करनी के सेती हमर खेती -खार बिगड़त हे। एक झन लइका ल कोरा म ओधा लेतेन ते हमरो डिह डोंगरी म दिया बारतीस। मरत खानी एक मुठा पानी देतिस।’ ऐहा गउटनिन के रोज के बोली आय। बपरा मंगतू हा कलेचुप सुनय अउ गउटनिन ह अपन मन के बोझा ल हरु करय। दस बछर होगे रिहीस। तभो ले ओकर कोरा ह हरू-गरू नई होय रिहिस।
दिनोंदिन गउटनिन ल घुना खात रिहीस। तब मंगतू गउटिया ह अपन कका के टुरा परेम ल अपन कोरा म ओधा लिस। परेम ह अपन बाप कर बाटा म एक ठन टेपरी ल पाय रिहीस। बाड़हे परवार म एक ठन टेपरी के धान के दिन ले पुरही। राहत ले खावय ताहन खंगे त बाड़ी मांग के गुजारा करय। साल के साल बाड़ही मंगई म ओकर ऊपर करजा लदाय राहय। मंगतू ल परेम ऊपर दया आगे अउ गउटनिन ह घला परेम ल चाहे। परेम ह गजब कमइया घला रिहीस। गउटनिन के केहे म परेम ह अपन लोग लइका सुध्धा गउटिया घर आगे।
मंगतू गउटिया ह अपन धरम-करम के काम करय अउ परेम वोकर खेती-खार ल संभालय। मंगतू के दया-धरम ह भगवान के आंखी म दिखत रिहीस। परेम के गौटिया घर अवई हा फलीत होगे। चार महिना की बीते ले गौटनिन के पांव भारी होगे। दूनों परानी ल गजब खुसी होगे। मानो दुनिया के जम्मो सुख वोकर आगू मे आगे। लइका के लालन-पालन म दूनो परानी ह जम्मो बेरा ल पहा दय सबो खेती-खार के देख-रेख ल परेम ह करय। एक दिन उदुप ले परेम ह गौंटिया घर ल छोड़के पटइल बाड़ा म रेहे ल चल दिस। वोकर मन के बात उही जाने मंगतू गजब पुछिस फेर परेम ह एक भाखा नई बकरिस। पटइल के टुरा ह साहर म उकील हे सबे परवार सुध्दा साहर म रइथे। पटइल ह एक दिन गांव आइस त गांव वाला मन ओकरे मुहं के सुनिस कि परेम ह बाड़ा ल ले डरे हे। गउटिया के लइका ह बाड़ही त मोला धुतकार दीही कहिके- परेम ह धोखा ले आधा जमीन अपन नाम कर डरे रिहीस। परेम ह मंगतू बर मनेमन गजब कपट करे ओकर गोद बेटा बनके जमीन ल उकील करा बेच डरे रिहीस। सइताहा परेम ह खाए पतरी म छेद करही कइके मंगतू ह का जानय।
परेम अउ मंगतू म गजब झगरा-झांसी होइस। गांव म बइठका सकलाइस। गांव के बइठका म परेम ह अपन गलती ल कबुलीस। उकील के भप्की म करनी करे हंव किहीस। परेम ह अइसन बेईमानी करही किके मंगतू का जानय। गांव वाला मन घला नइ सोचे रिहीस कि परेम करनी करही किके। जेन ह आसरा दिस, करजा-बोड़ी ले उबारिस उही ल दगा देदीस। परेम के करनी कबूले ले का होही। गांव के बात गांव नइ रिहीस। कोट कछेरी म आगे रिहीस। मंगतू ह घलो कछेरी म दरखास दिस। पेसी ऊपर पेसी बाड़हतगीस। बाप पुरखा थाना, कछेरी देखे नइ रिहीस तेन ह आज अपन पुरखा के चिनहा बचाय बर जी परान ल दे के भीड़े हे। पेसी के चक्कर म मंगतू के धन अटगे। धनहा डोली ह परिया परगे। वो खेल त उकील बो सकत हे न मंगतू अउ परेम तो वो खार ले दू कोस दूरिहा रेंगथे। गांव म परेम बर अब काकरो करा मीठ बोली नइए। कोनो वोला एक पइसा के नइ पतियावत हे। बनी-भूती बर लुलवावथे। जेने पावथे तेने धुतकार के काम देवथे। परेम ह जेन उकील के भप्की म करनी करे रिहीस तेनो ह अपन बाड़ा ले निकाल के बेघर कर दीस।
येती मंगतू ह मुड़ी धरे बइठे हे। खेती के आखरी सुनई हे अउ घर म चार आना पइसा नइए। गांव म एती के जमीन ल खेती के पाछू बिगाड़ डरे हे। घर भर बांचे हे- कइके मंगतू मने मन सोचत हे। खेत के आखरी पेसी बर जुगाड म लगे हे मंगतू हा। उकिल संग मानमनौता हो के खेत ल पा लिही। फेर बदली म उकील ह गजब अकन रूपिया मांगत हे। रात के बेरा हे। बिहनिया घर ल गिरवी धरबो किके सोंचतथे। थोरके म बादर लदलदा गे। गरज घुमर के पानी बरसे लगगे। मंगतू गउटिया कर तो घाम पानी ले बांचे बर घर हाबे। फेर परेम करा घर दुवार कांही नई बाचिस। बरसत पानी म एकर छानी ओकर छानी लुकावत हे। रदरदउवन पानी म परेम ह गउटिया के पिछोत म लुकाय हे। बिकराल पानी म गांव चोरो-बोरो होगे, बाड़ी अउ देवाल मन ओदरत हे। आधा रात के बिजली अउ पानी म परेम ह अपन लोग लईका ल पोटरे दीवाल तिर ओधे हे। बादर गरजीस अउ बाड़ा के एक डहर के देवाल भकरस ले ओदरगे। धनतो परेम डाहर के देवाल नई गिरिस नइते माईपिल्ला जात रितीस। बिजली के अंजोर म देवाल डहर ल परेम देखिस त नानकुन बटलोही गिरे राहय। बटलोही के भीतर म गजब अकन मोहर मन जुगुर-जुगुर चमकत रिहीस। पानी के धार मा मोहर मन ऐती ओती ढुलत रिहीस। परेम ह देखते जान डरिस कि गउटिया के ददा ह दिवाल म दबाय रिहीस होही तेने ह आज देवाल संग गिरगे। मन म सइता बांधे रात भर पानी गिरत म मोहर सकेलिस अउ बटलोही म भर के राखे रिहीस। बिहनिया पानी छोड़ीस। गउटिया जागिस त देखिस अपन गिरे देवाल। ओला थोरको गम नई रिहीस कि देवाल म मोहर गड़े होही किके। परेम के मन के मईल हा रात के पानी संग धोवागे रिहीस। छानी कस ओरछा, आंखी ले पछतावा के बुंदा टपकत रिहीस। मंगतू के पांव म गिर के रात के बात बतइस अउ बटलोही भर मोहर लहुटाइस। परेम ह छिमा-छिमा काहत रोवत रिहीस। मंगतू ह परेम के सफा मन देख के छिमा कर दिस। अब मंगतू अऊ परेम ह मिंझरके खेत के पेसी लड़ीस अउ जीत घला गे। परेम के करनी ल लइकुसहा उमर के गलती जानके मंगतू ह अपन बेटा बनालिस। मंगतू के अब एक नहीं दू बेटा होगे। गजब दिन ले परिया परे पेरनहा खार ह पुरे परेम के मेहनत ले हरियागे।
जयंत साहू
ग्राम- डूण्डा
पो. सेजबहार जिला रायपुर

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