झन काहा तोर मोर,
मतलभिया संसार हे।
भज ले रे सतनाम।
इहां सतनाम सार हे॥
झन बिसराव ठीहा ल,
जब तक हवे सांस ह।
सत के रद्दा म रेंगव,
कहि गे हे घासीदास ह॥
जे देखाथे रद्दा सबला
ऊंखरे जय जयकार हे।
भज ले रे सतनाम…
जाना हवय सबो ल
इहां ले ओसरी पारी।
दाई-ददा, भाई-बहिनी
बेटा-बेटी अउ नारी॥
करबे कारखर बर जोरा,
जिनगी दिन चार हे।
भज ले रे सतनाम…
सुनले संगवारी। अब तंय
अइसने मिटका झन।
मिले हवय मानुस तन,
तंय समे ल गंवा झन॥
हिरदे मा राखे सतनाम
जउन हूसियार हे
भज ले रे सतनाम….
यशपाल जंघेल
तेन्दूभांठा गण्डई
पो.दनिया, तह.छुईखदान
जिला-राजनांदगांव