सावन महिना में शिव , सावन अऊ सोमवार के विशेष महत्व हे । एकरे पाय छोटे से लेकर बडे़ तक सावन सोमवारी ल मनाथे । सावन महिना के सोमवार के पूजा अऊ उपवास करे से भगवान शिव ह जल्दी प्रसन्न होथे । ये व्रत ह बहुत ही शुभदायी अऊ फलदायी होथे । सावन मास में शिव के पूजा करे से 16 सोमवार व्रत के समान फल मिलथे । भगवान शंकर के विधि विधान से पूजा करे से घर में सब परकार के सुख शांति अऊ लछमी के प्राप्ति होथे । सावन के महिना ह भगवान शंकर ल बहुत प्रिय हे । खासकर सोमवार के दिन ह । एकरे पाय जे आदमी सावन सोमवारी के उपास या पूजा पाठ करथे ओकर मनोकामना ह जल्दी पूरा होथे । भगवान शिव के मंत्र ह जादा बड़े नइहे ।
” ऊ नम: शिवाय ” मंत्र के जाप करे से भगवान शिव ह प्रसन्न हो जथे ।
पूजा विधि –
वइसे तो भगवान शिव के पूजा पाठ करे के जादा विधि विधान नइ लागे फिर भी कुछ नियम के पालन करना चाही। बिहनिया जल्दी उठ के पानी में कुछ काला तिल ल डारके नहाना चाहिए। दूध, दही, घी, मंदरस से अभिसेक करना चाहिए। फूल अगरबत्ती अऊ बेल पान से पूजा करना चाहिए। भगवान शिव ल भोले बाबा भी कहे जाथे । भोले माने बहुत ही सरल । एकर पूजा पाठ के लिए कोई बहुमूल्य वस्तु या कठिन विधि विधान के आवश्यकता नइहे। आदि गुरू शंकराचार्य जी ह तो कहे हे की भगवान शिव ल मन से पूजा करके मन में ही सब कुछ अरपित कर सकाथस। ओला शिव जी ग्रहण कर लेथे।
भगवान शिव के प्रिय वस्तु –
भगवान शिव ल गंगा जल अऊ चन्द्रमा ह सबसे पियारा हे ।एकरे कारन दूनों ल अपन जटा में धारन करे हे। शिव जी ल बेलपान भी बहुत पियारा हे ।एकरे सेती आदमी मन पूजा करके बेलपान चढ़ाथे।बेलपान चढ़ाय के समय धियान रखना चाही कि बेलपान ह टूटहा या छेदा वाला नइ होना चाही ।
मंत्र –
भगवान शिव ल खुश करे बर जादा लम्बा चऊड़ा मंत्र के जरूरत नइहे ।केवल पंचाक्षर मंत्र ” ऊ नम: शिवाय ” के जाप करे से खुश हो जथे ।
महेन्द्र देवांगन “माटी”
गोपीबंद पारा पंडरिया
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