हमर छत्तीसगढ़

हमर सोझिया छत्तीसगढिया मजदूर मन, मजदूरी करे दूसर राज जाथे अउ अपन सबे कुछ लुटा के लहुटथें, ए विसय म इस्थायी समाधान होना चाही।

अपराध अउ भ्रस्टाचार दिनों-दिन बाढ़त जात हे। गरीब ह अऊ गरीब होवत जात हे, पूरा बेवस्था ह बिगड़े हे, अइसनहा नइ होना चाही। छत्तीसगढ़िया सबो जात म दुस्मनी के जहर बोए जात हे, सबो जात म समरसता अउ सद्भावना बढ़ाए के बेरा आए हे, एकर रस्ता बनाना चाही। ऊंच-नीच के भाव मिटना चाही। हम सब ल छत्तीसगढ़-महतारी के सपूत बनना चाही।
ह मर भारत देस के 26 वां राज्य छत्तीसगढ़ 1 नवम्बर सन् 2000 म बनिस। एमा 18 जिला हावय जेमा रायपुर, बिलासपुर, दुरूग, राजनांदगांव, बस्तर, रायगढ़, सरगुजा, कोरबा, चांपा-जांजगीर, जसपुर, कवरधा, महासमुन्द, कोरिया, धमतरी, कांकेर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर अऊ बीजापुर सामिल हावय। एकर भउगोलिक छेत्र 1,35,194 वर्ग किमी हावय, आज एकर आबादी दू करोड़ ले ऊपर होही। छत्तीसगढ़ ल जुन्ना समय ले अब तक धान के कटोरा कइथे। खेती किसानी इहां के परान आय। अब तो ए धान के कटोरा के पाछू घनघोर अंधियारी छाए हावए, इंहा के किसान मन बर 4 महीना खेती करे के बाद 8 महीना कुछु कमाई के बूता नई हे। अभी तक ले सिंचाई के भरपूर साधन नइ हावय।
खनिज के दउलत भरपूर हे। इहां कच्चा लोहा, कोइला, चूना, टीन, बाक्साइड, कोरंडम, क्वार्टजाइ के भंडार हें। देवभोग अउ मैनपुर म हीरा के भण्डार हे, सोनखान म सोन के भंडार हे, एकर सेती एला ‘धान के कटोरा’ के संग ‘खनिज के कटोरा’ घलाव कइथे।
छत्तीसगढ़ के वन सम्पदा भरपूर हे, जनसंख्या के बढ़ोतरी अउ उद्योग के बाढ़े ले पेड़ के कटाई जादा अउ बोआई कम होगे। तेकर सेती वन सम्पदा कम होवत जाथे। तभो ले 44.82 लाख हेक्टेयर जमीन म जंगल छेत्र हावय। जेमा सबले जादा 57 प्रतिशत जंगल बस्तर संभाग म हावय।
हमर छत्तीसगढ़ सबो भंडार ले भरपूर हावय। भेलई, कोरबा, अउ बैलाडीला, सीपत भारत म भेलई इस्पात संयंत्र, भारत अल्यूमीनियम कंपनी अउ बैलाडीला आयरन, एनटीपीसी के नाव लेके मसहूर हे। कतको कन सीमेंट फेक्टरी अउ आनी-बानी के कल-कारखाना अउ उद्योग के इस्थापना हो गए हावय, तभो ले एकर फायदा इंहा के गरीब-जनता ल नइ मिलत हावय, अउ एकर फायदा ल कुछ राजनेता, बेपारी, उद्योगपति, मिल मालिक, ठेकेदार अउ बड़ किसान मन लेवत हावय। छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत, साहित्य, लोकनाटय-नाचा, चित्रकला-सिल्पकला के दुनियां म अलग पहचान बन गे हावय।
जनसंख्या के हिसाब से तीन चउथाई भूमि म आवाजाही के साधन के कमी हावय, एही हाल बिजली के हे, जेकर से उद्योग अउ खेती म कमी देखे ल मिलथे। आज दूसर राज के हिसाब ले छत्तीसगढ़ भले पिछड़ गए हे, फेर संसाधन के कमी नइ हावय, आज इंहा के जनता गरीबी, असिक्छा अउ पिछड़ापन के सराप ल भले भोगत हावय, एकर बर सब ल जमके कोसिस करे ल परही। छत्तीसगढ़ी राजभासा बनगे, दूसर राज कस छत्तीसगढ़ी म काम-काज अउ पढ़ाई होना चाही, जेन हा नइ होवत हे, एहा चिंता के बात हे।
एक समय हमर सियनहा सब छत्तीसगढ़ ल छोटकन भारत कहत रहिन। ओ घनी गांव ले सहर तक अड़बड़ भाई-चारा रहिन तेन सब नंदावत जाथे, गांव म पुलिस के जघा म कतको किसम के संगठन रहय। सब जात-धरम ले ऊपर मितान-मितानिन, महापरसाद, गुइयां, सखी, भोजली-जंवारा, तुलसीदल-गंगाजल जइसे पोट्ठ रिस्ता रहय, ए रिस्ता ह कतको पुरखा ले चलत रहय, आजो ले कहूं-कहूं देखे ल मिलथे। अइसना रिस्ता हमर देस म कोहों नइ मिलत रहिस। तेन ह नंदावत जावत हे। तभे तो दूसर राज के मनखे मन इहां के परेम ल पाके छत्तीसगढ़ म रसे-बसे हावंय, जेन बाहिर ले नउकरी अउ बयपार करे आइन, तेन इहें बस गइन। मगर कतको झन आज इहां के सोसन करके रातों-रात धन्नासेठ बन गइन।
हमर सोझवा छत्तीसगढिया मजदूर मन, मजदूरी करे दूसर राज जाथे अउ अपन सबे कुछ लुटा के लहुटथे, ए विसय म इस्थायी समाधान होना चाही। अपराध अउ भ्रस्टाचार दिनों-दिन बाढ़त जात हे। गरीब ह अउ गरीब होवत जात हे, पूरा बेवस्था ह बिगड़े हे, अइसनहा नइ होना चाही। छत्तीसगढ़िया सबो जात म दुस्मनी के जहर बोए जात हे, सबो जात म समरसता अउ सद्भावना बढ़ाए के बेरा आए हे, एकर रस्ता बनाना चाही। ऊंच-नीच के भाव मिटना चाही। हम सब ल छत्तीसगढ़-महतारी के सपूत बनना चाही।
भारत माता अउ छत्तीसगढ़ महतारी भ्रस्टाचार के बेडी म बंधाए दिखत हावय, जेला छोड़ाए बर सपूत मन के जरूरत हावय। आज देस म भगतसिंह, चंद्रसेखर आजाद, रामपरसाद बिस्मिल, खुदीराम बोस जइसे क्रांतिकारी अउ गांधी बबा, विवेकानंद, राजेन्द्रबाबू, सुभास बाबू, जवाहरहलाल, सरदार पटेल लइसे महापुरुस के जरूरत हे। अइसनहे छत्तीसगढ़ म पं. सुन्दरलाल शर्मा, डॉ. खूबचंद बघेल, ठा. प्यारेलालसिंह, बालिस्टर छेदीलाल, सत्याग्रही सुन्दरलाल साहू जइसे छत्तीसगढ़िया महापुरुष के जरूरत हावय। आज 70 प्रतिसत जनता फकत रूपया-पइसा के चक्कर म आनी-बानी के बीमारी ले घेराए हावंय, परयावरन परदूसित होवत जात हे, परयावरन के रक्छा ले सबे जीव-जंतु के रक्छा होही, ये बूता ल करे बर परही।
आज नक्सलवाद आतंकवाद अउ भ्रस्टाचार के करिया बादर चाराें कोती छाए हावय, अउ गरजत घलाव हे, एकर संग बिजली, करा कड़कत हे। ये सब ल सुधारे बार ईमानदार नेता अऊ समाज-सुधारक के जरूरत हावय। लेकिन ईमानदार अउ बुध्दिजीवी मन अपने मुड़ ल धरके तिरियाये हावय, अइसन समाज सुधारक अउ जागरूक मन ल आघू लाए ल परही, तभे हमर देसराज अउ समाज ह सुधरही, नइ तो भगवान जाने का होही?


श्यामनारायण साहू ‘स्याम’

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