अइसन दिन आये हे
काँही झगरा नवां झन बिसाव जी।
निकरत ले काम, लेवना लगाय जी।
अब अइसन दिन आये हे॥
कोन ह करत हवय, तेला तुम छोड़व ना
जेमा अपन काम सघे उही गनित जोडो़ गा
फिकर झन करौ भइया खाव तेखर गाव जी
अब अइसन दिन आये हे।
दिन ला तुम रात कहौ, आमा ला अमली
डोरी ला साँप कहौ रापा ला टंगली
खुसामद ले आमद हे उही ला कमाव जी
अब अइसन दिन आये हे।
झपटो मारो काटो ये राक्षस राज हे
बाढे हे बेसरमी कहाँ काम काज हे
धुर्रा मां घाघर ला रोज तुम उडा़वजी
अब अइसन दिन आये हे।
– भगवती लाल सेन