आवव संगी तुमन ला सुनावथ हव दशरू बबा के कहानी ला बबा हा निचट अड़हा रहय फेर जिन्दगी मा पढ़े नी रहीस पर कढ़े जरूर रहीस हे दशरू बाबा बड़ गरीब रहय घर मा ढोकरी दाई अऊ बबा रहय दुनो झन बनी भुती करके जिन्दगी चलावय दिन रात हरी गुन ला गावय सुख सुख दिन ला गुजारय। बबा अऊ ढ़ोकरी दाई के कमाये ले कुछ बछर बीते के बात सबो चीज होगे रहय।उही समय गाव मा अड़बड़ चोरी होवय जेकर घर में पावय तेकर घर में चारी करे ला घुस जावय चोरमन। आये दिन मा ककरो न ककरो घर चोरी होते रहय। गाव मा चोर ला पकड़े बर अब ईनाम तको रखे रहय गाव के मन तको हलाकान होगे रहय।अब दशरू बाबा हा चोर पकड़े बर अड़ा दिमाग लगईस अऊ रात रात के चोर मन ला पासय बर जाय की ये चोर मन कोन ये बाबा ल एकदिन पता तको चल गे कि येही चोर मन हरे कहिके काबर बबा हा चोर ला चोरी करत देखे राहय लेकिन ओकर बात ला कोनो नई मानय तब बबा हा फिर चोर ला पकड़े बर दिमाग लगईस अऊ ऐकदिन बाबा के घर तीरन ले चोर मन जात रहय त चोर ला बबा हा देख के जोर जोर से अपन ढ़ोकरी ला कथे कस ओ ढ़ोकरी आजकल गाव म अड़बड़ चोरी होवत हे ते हा सोन चादी ला कहा रखे हस ढ़ोकरी दाई बोलथे सबो सोन चादी ला घरे मा रखे हव त ढ़ोकरी ला बबा हा कलचुप सबो बात ल चोर पकड़े के बताथे अऊ मे कहत हव ते ला हव बस कहिबे चोर मन इही मेरा हवय त ढ़ोकरी दाई हव कथे। बबा हा कथे कस ढ़ोकरी ऐक काम कर का काम ढ़ोकरा सबो सोन चादी ला न ओ आगना के रूख मा बाध दे ऊपर में बने काबर चोर मन आही त घर ला देखही रूख ला थोड़े टमरही अई सही कहत हस ढ़ोकरा का होही आज बांध देथव। ऐतका बात ला चोर मन सुन के खुशी खुशी चलदीच रूख डहर ध्यान नई दिस । रात होथे त आथे मार खुशी खुशी चोर मन आथे अऊ पेड़ मा गठरी बधाये देख उताधुर्रा रूख मा चढ़ जाथे। चोर हा जैईसे ही रूख मा चढ़ के गठरी ला छोरे बर धरथे ओसने ही भावर मसेर हा खमखमा खमखमा के ऐतका चाबथे ऐतका चाबथे ऊड़ा ऊड़ा के ऐतका चाबथे की सबो चोर हा घायल हो जाथे। रतिहा भर के चाबे ले मार चोर मन के सबो डहर फुलगे राहय बिहनिया गाव भर हल्ला होईस की दशरू बाबा घर चोरी करे ला गे रहिस तेन चोर मन पकड़ा गे कहिके चोर ला पकड़े के सबो रास ला सबके सामने मा बताथे कि कईसे हमन अड़हा दिमाग लगाये रहेन कहिके। गाव भर मा बाबा के वाहवाही होथे संग संग चोर पकड़े के इनाम तको पाथे। ऐ कहिनी ले इही ज्ञान मिलथे कि चोर चाहे कतको बड़े रहाय पर थोकुन दिमाग लगाये ल पकड़े जा सकथे।
हेमलाल साहू
अड़बड़ सुग्ग्घर कहिनी हे हेमलाल भाई…बड़ नीक लागिस……जय जोहार आपमन ला
बहुत सुघ्घर काहनी लिखे हस साहू जी |
बधाई हो |
आपमन हमर रचना ला पसंद करेव ओकर बर बहुत बहुत धन्यवाद भाई सुनील शर्मा , महेन्द्र देवांगन जी