जैतखाम ल सतनाम धरम के अनुयायी आस्था के चिन्हा मानथे अऊ येकर पूजा पाठ करत रथे। खाम के ऊपर मं सादा झंडा लगाय जाथे। इही ल शांति के प्रतीक माने गेहे।
छग संत महात्मा, महापुरुष मन के भूमि हरे। पांव-पांव मं देवी-देवता के जुन्ना सुरता, स्मारक, पथरा मं पारे चिन्हा अऊ कथा कहिनी मन अपन डाहर तीर लाथे। सुनबे त रोम-रोम गमक उठथे। कथे भारत भुंइया दुनिया के सरग आय। येला आरूग बनाय के घातेच मेहनत करिन इहां के महापुरुष मन। जेन ह सुनता के रद्दा देखा के अमर होगे। येमा गुरू घासीदास के नाव आथे त छाती ह गरब के मारे फूल जथे। 18 दिसंबर के जम्मो बच्छर येकर जयंती मनाय जाथे। अट्ठारहवीं सताब्दी के महान संत, सतनाम सम्प्रदाय के प्रणेता अऊ सामाजिक क्रान्ति के अगुवा माने गेहे। बेरा 18 दिसंबर 1756 में महानदी के तट मं बसे गिरौदपुरी गांव मं जनम होईस। तब ले ये माटी बड ममहात हे। गुरूबाबा के तप भुंईया होय के सेती तीर्थ ठऊर के नांव देयगे हे। सियनहा मन के कहना हे कि नदिया के पार मं सोनाखान के राजा के सेना मन डेरा डाले रहिस। जऊन ह श्रापित होय के कारण पथरा मं बदल गे। पथरा के समेह आज ले नदिया तट में माढे हे। गुरूघासीदास के गद्दी, तपस्या ठउर, चरणकुण्ड, छाता पहाड़, अऊ सफुरा मठ बिसेस दर्शनीय हाबे। पहाड़ी में पांच कुण्ड जेला पंच कुण्डी कहे जात हे अलग-अलग जगा मं हाबे। गिरौदपुरीधाम दर्शन मं ये कुण्ड ल देखना शुभ माने गेहे। फागुन पुन्नी मं इहा मेला भराथे। ठउका बेरा मं छत्तीसगढ़ के कोंटा-कोंटा ले मनखे मन पहुंच के अपन श्रध्दा सुमन ल अरपित करथे।
जैतखाम ल सतनाम धरम के अनुयायी आस्था के चिन्हा मानथे अऊ येकर पूजा पाठ करत रथे। खाम के ऊपर मं सादा झंडा लगाय जाथे। इही ल शांति के प्रतीक माने गेहे। जैतखाम लगभग 21 हाथ लम्हरी साजा अऊ सरई लकड़ी के बनाय जाथे। बाबा के गोठ ल बगराय बर पंथी गीत उवे हाबे। गीत, संगीत, नाचा के प्रस्तुति ऐके संघरा होथे। येला देख के देखइया मन भाव विभोर हो जथे। बाबा गुरूघासीदास जब जगन्नाथ यात्रा बर निकलिस तब रद्दा मं परिग्यान होइस कि देवता तो सबो जीव के अंतर आत्मा मं बसे हे कहिके रूक गे। इही ल सुरता करत गीत हे जेमा मूरती पूजा के विरोध करे गेहे-
पथरा के देवता हालय नहीं डोलय हो
मंदिरवा मं का करेल जइबो
अपन घट के देवता ल मनइबो
घरौधी जिनगी पहात-पहात घासीदास ह गांव-गांव मं किंजर-किंजर के सामाजिक बुराई ल भगाय के उदिम करिन। दाई-ददा के सेवा जतन ल पहिली पंक्ति मं रखिन। जैन येमा झलकत हे-
सेवा कर ले रे सेवा करले रे
जियत दाई के सेवा करले
जियत दाई पानी बिना तरसगे
पथरा मं दूध ल रूतोये रे अड़हा
जियत ददा रोटी बिन तरसगे
छानी मं रोटी ल फेके रे अड़हा..
सत ल अपन आचरण मं ढाले बर लोगन ल घेरीबेरी सीख दीन। देखव एक ठीन जुन्ना गीत के बोल-
सत्यनाम रस घोला रे भई
सत्यनाम रस घोला
सत्यनाम के भजन करे ले
मुक्ति पात हे चोला
कि मुक्ति पात हे चोला रे भइया
सकल काज की जय
बार-बार सब प्रेम से बोलो सत्यनाम साहेब।
सत के रद्दा मं जाए बर सबले जादा जोर दिए गेहे। इहा तक कि येकर ले भवसागर पार होय के गोठ तक गोठिया डरे हे-
काया रही जाही तोर, चोला तर जाही तोर
सवत के रद्दा मं चल रहे, चोला तर जाही तोर,
बाबा के पूजा पाठ मं ओकर भगत मन किसम-किसम के धून मं गाथा अऊ सुमरण करथे-
मय कहां ल लानव बाबा आरूग फूलवा
बगिया कर फूल ल भऊरा जूठारे
गाय कर दूध ल बछरू जूठारे
नदी कर पानी ल मछरी जूठारे
ओइसने देस भक्ति में तक गीत बने हे जे ब्रिटिस काल मं सामाजिक क्रान्ति के मशाल लेके आगु बढ़हइया बाबा के अदम्य साहस ल रेखांकित करथे-
लहर-लहर लहराए ग भइया
तिरंगा झंडा निशानी
जिहा-जिहा सतनाम के अनुयायी रथे। उहां जैतखाम मिल जथे। गिरौदपुरी मं तो सींग दरवाजा (मुख्य द्वार) के आगु पुराना जैतखाम हे। पंथी दल ह समाज ल जागरूक करे बर किसम-किसम के गीत गाथे। नचइया के पहनावा ह मन ल मोह डरथे। अब तो पंथी नर्तक दल के ख्याति राज के संग-संग विदेश मं तक पहुंच गेहे। येकर सुनइया, देखईया मन के संख्या बाढ़ गेहे। अइसने ढंग ले गुरू घासीदास बाबा ह सत के संदेश देके मनखे ले बढ़िया करम करेके ओर प्रेरित करे हे।
संतोष कुमार सोनकर ‘मंडल’
चौबेबांधा (राजिम)
पो. बरोण्डा, जिला रायपुर