खन-खन बाजे चूरी , छन – छन बाजे पैरी ,
हाय ! दूनों होगे बैरी,कइसे आवंव नदी तीर-मा ?
चूरी – ला समझा दे अउ ,पैरी – ला मना ले ,
मेंहदी -माहुर लगा के ,चले आबे नदी तीर-मा.
बैरी ! मान गे हे चूरी अउ चुप होगे पैरी ,
अब आँखी भेद खोले, कैसे आवँव नदी तीर-मा ?
आँखी काजर लगा के,दूनों नैना ला झुका के
चुप्पे गगरी उठा के,चले आबे नदी तीर-मा.
आँखी कजरा लगाएँव,चुप्पे गगरी उठाएंव
अब चाल होगे बैरी,कैसे आवंव नदी तीर -मा ?
लोक – लाज के बिचार , छोड़ घर – परिवार
मया हिरदे-मा लेके, चले आबे नदी तीर-मा.
अरुण निगम
१०५, शम्भू -श्री अपार्टमेन्ट,
एम्.आर.रोड ,विजय नगर,
जबलपुर
abad bane have kaka (atul kumar lonhare)
abad bane have kaka (atul kumar lonhare)
अब्बड सुघ्घर…………
aapke geet bahut sugghar lagish