आवत हे राखी तिहार
सजे हे सुग्घर बाजार,
रकम रकम के राखी
हर डाहर राखी के बहार.
रेशम धागा के दिन पहागे
चांदी और सोना के राखी आगे
मया के तिहार म घलो देखो
बाजारवाद ह कइसे छागे.
बपरा मन का जानही
ये तो मया के तिहार हे,
कच्चा धागा ल बंधे हवे
भाई बहिनी के प्यार हे.
राखी के दिन भाई आथे
रोली लगवाके राखी बन्धाथे,
लेगे बर आये हंव बहिनी तीजा पोरा
कहिथे, बहिनी के मन ह जुड़ाथे.
घर दुवार के बुता हे भाई
मैं पोरा मान के आहूँ,
भौजी ल भेज देबे तीजा
मैं तोर भांचा संग आ जाहूं.
कभू बहिनी ह, भाई के घर जाथे
बुआ बुआ, कहिके भतीजा मन लडियाथे,
भौजी रान्धथे, ठेठरी खुरमी
सिरतोन, मैइके म अडबड मजा आथे.
सुग्घर सुग्घर गोठ बात
चलत रहिथे अइसनेहे,
मैइके के सुख के हवे अडबड गोठ
कत्तेक के कहिनी कहिबे.
सुनीता शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़
सुनीता शर्मा जी के ब्लॉग हे देहात की नारी, गोठ आनी-बानी के… अउ कशिश
जीवन परिचय
सुनीता शर्मा
पिता : स्व. श्री बी.एल. शर्मा
माता : स्व. श्रीमती सरोज शर्मा
पति : श्री अश्वनी कुमार शर्मा
जन्म तिथि : 25-08-1963
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी साहित्य), समाजशास्त्र, बी.जे.एम.सी.(पत्रकारिता), पी.जी.डी.सी.ए.
व्यवसाय : नौकरी (महिला विकास अधिकारी, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, रायपुर)
प्रमुख लेखन विधा : कविता, स्वतंत्र पत्रकारिता, आलेख आदि
प्रकाशित संग्रह : कविता संग्रह “समर्पण”
साहित्यक गतिविधियाँ : कवि गोष्ठियां, कवि सम्मलेन एवं मंच संचालन
संक्षिप्त जीवन वृत्त : प्रदेशाध्यक्ष महिला मंच, छत्तीसगढ़ सर्व ब्राह्मण समाज, रायपुर, समाचार पात्र “नई दुनिया” की विजेता नायिका सम्मान 2011, समाजसेवा, लाखे पुरूस्कार, ब्रम्हा सम्मान, स्त्रीशक्ति सम्मान, परशुराम सम्मान से सम्मानित एवं ऋषिकेश गायत्री परिवार की रथयात्रा छत्तीसगढ़ में सम्मानित! परिवार में दो बेटी और एक बेटा है, पति मंत्रालय में सेवारत हैं.
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बढिया कविता लिखे हावस सुनिता ! राखी के तिहार हर हमर भाई – बहिनी के मया के तिहार ए । राखी के बिहान- भए भोजली आ गे –