– वीरेन्द्र सरल
एक राज मे एक झन राजा राज करय। राजा के तीन बेटा रहय। दु झन बेटा के बिहाव होगे रहय फेर तीसरा बेटा ह कुवांरा रहय। एक दिन राजा सोचिस कि अब मोर बुढ़ापा आगे हावे, ये जीव कब छूट जही तेखर कोई ठिकाना नइहे। मरे के पहिली मै अपन संपत्ति ला तीनो बेटा म बांट देथवं नही ते येमन मोर मरे के बाद आपस मे झगड़ा झंझट होही। राजपंडित ले शुभ मुहरूत निकलवा के एक दिन राजा ह अपन तीनो बेटा ला राजमहल मे बुलावा भेजिस अउ अपन मन के बात ला बता दिस। राजकुमार मन किहिन फोकट संशो फिकर काबर करथस पिताजी, अरे जब के बात तब बनत रही। फेर राजा अपन जिद म अड़े रहिगे। अपन पिताजी के इच्छा के सनमान करत बेटा मन घला बंटवारा बर तियार होगे। राजा बडे बेटा ला किहिस-तैहा तीनो भाई म सबले बड़का अस, तै काय चाहत हस तै मुहमंगा मांग लें। बड़े राजकुमार ह बंटवारा मे राज खजाना ला मांग डारिस। राजा ह मंझला बेटा ला किहिस तब वोहा खजाना के छोड़ पूरा राज ला बंटवारा म मांग लिस। राजा जब अपन छोटे बेटा ला बटवारा मांगे बर किहिस तब छोटे राजकुमार हाथ जोडकें किहिस-पिताजी अब तो आपके पास संपत्ति के नाव म कहीं नइ बांचे हे, बडे भैया के खजाना होगे अउ मंझला के राजपाट। अपन इच्छा ले अब आप जउन मोला देना चाहो उही ले दे देव। राजा ला अपन गलती के अहसास होइस तब वोला बहुत पछतानी लागिस। सिरतोन म छोटे बेटा ला देबर मोर तीर कहीं नइ बाचे हे। आखिर म राजा ह अपन छोटे बेटा ला किहिस-जा रे बाबू तैहा ये दुनिया म चोरी करके जीबें खाबे। चोरी तो करबे फेर मोर एक बात ला हमेशा सुरता राखबे। कभु कोन्हो दास, कजूंस अउ मित्र घर चोरी झन करबे भगवान जरूर तोर भला करही अपन ददा के बात ला गांठ बांध के छोटे राजकुमार बारह हाथ के धोती ला तन म पहिरे अउ खाय पिये के जउन समान भाई भौजाई मन दीस तउने ला नानकुन मोटरा म धरके राजमहल ले निकलगे।
रेंगत रेंगत राजकुमार ह अपन राज ले बहुत दूरिहा एक दूसर राज मे पहुँचगे अउ राजधानी के बाहिर एक पीकरी पेड़ के खाल्हे म अपन डेरा जमा दिस। मउका देख के एक रतिहा वोहा वो राज के मंत्री के घर मे चोरी करे के नीयत ले खुसरगे। रात तो बने गहरी होगे रिहिस फेर घर म मंत्रानी भर रिहिस। मंत्री ह राजमहल ले लहुटे नइ रिहिस। मंत्री के घर के सब रूपया पैसा ला चोरी करके अपन बारह हाथ के धोती ला तीन हाथ चीर के उही मे सब ल मोटरा के राख डारिस। अउ उहां ले भागे के मौका खोजे लगिस। उही बेरा म मंत्री अपन घर पहुंचिस वोला देख के चोर ह कोन्टा म लुकागे। घर ह निचट अंधियार रिहिस हवय। मंत्री अपन मंत्रानी ला किहिस-दिया बाती काबर नइ बारे हस ओ? दीया बार के अंजोर कर, मोर हाथ पांव धोय बर पानी निकाल अउ जेवन परोस। येला सुन के मंत्राणी भड़कगे। मंत्राणी किहिस -तोर हाथ पांव टूटगे हावे का? सोज बाय सबो काम बुता ला तिही कर मोला नींद आवत हावे। मंत्री ह कलेचुप सबो काम करके बर्तन ला मांज धो के सुतगे। येला देख के चोर ह मन म विचार करिस, अरे अतेक जब्बर मंत्री अउ घर मे बाई के दास। मोर ददा कहे हावे कोन्हो दास के घर चोरी झन करबे। अइसने विचार करके चोर ह चोरी के सब समान ला उहींचे छोड के उहीं ले निकलगे।
बिहान दिन मंत्री के घर चोर खुसरे के घटना के राज भर हल्ला मचगे। चोर ला पकड़े के अड़बड़ उदिम करे गिस फेर चोर पकड़ मे नई आइस। अइसने अइसने कुछ दिन बीतगे। अउ मनखे मन चोरी के घटना ला भुलागे।
बहुत दिन बाद वो राजकुमार ह फेर उही राज के परधान के घर चोरी करे के नीयत ले खुसरिस।चोरी के सब माल समेट के बस भागे के तियारी मे रिहिस उही समे परधान घर पहुचिस। वोहा फेर एक कोन्टा म सपट के भागे के मौका खोजे लगिस। परधान के आते ही परधानिन ह बढ़िया हाथा पावं धोय बर पानी निकालिस, चटई पीढ़ा बिछा के ताते तात जेवन परोसिस। अपन आधू म बने स्वादिस्ट पकवान देखके परधान ह पूछिस- आज तो कोन्हो तिहार बार नोहे फेर ये किसम किसम के रोटी पीठा ला काबर रांधे हस ओ परधानिन? परधानिन किहिस – आज घर के आघू ला साफ सफाई करत रहेंव तब एक ठन सोन के मोहर मिलगे, उही मोहर के ये सब जिनिस बिसा के बनाय हव। येला सुनके परधान के एड़ी के रिस तरवा म चढ़गे। वोहा गुसिया के किहिस- अइसने फोकटे फोकट पइसा ला सिरवाबे तब हमन तो भिखारी बने जाबो। अइसने कहिके परधान ह अपन घरवाली ला तीन चार थपड़ा हकन दीस। ये घटना ला देख के चोर फेर विचार करिस। ये परधान तो महा कजूंस आय तइसे लागथे, ये बपरी ह भाग म मिले मोहर के सदुपयोग करिस अउ ये चंडाल ह येला थपड़ा मारथे। मोर ददा ह कंजूस घर चोरी झन करबे कहिके चेताय हावे। इहां चोरी करना बेकार हवय। चोर फेर मोटराय समान ला उहींचे छोड़े के भाग गे।
बिहान दिन फेर उही हो हल्ला और चोर पकड़े के उदिम फेर चोर पकड़ म नई आइस। कुछ दिन बाद फेर लोगन मन ये घटना ला भुलागे। मामला ठंडा पड़िस तब वो चोर ह मौका देख के एक रतिहा सीधा राजा के घर म चोरी करे बर राजमहल म खुसरगे। अधिरतिहा के समय रहय। चारो कोती निच्चट सुनसान हो गे रहय। राजकुमार मउका देख के जइसने राज खजाना कोती बढ़िस।तब देखथो एक सोला साल के बड़ा सुघ्घर अउ मोटियारी नोनी ह सुसक सुसक के रोवत रहय।राजकुमार सुकुरदुम होके चारो कोती ला बने चेत लगा के देखिस। उहां वो नोनी के छोड अउ काखरो आरो नइ मिलत रिहिस। राजकुमार अपन जीव के मोहो ला छोड़के वो नोनी के तीर म पहूंच के पूछिस-काय बात आय ओ बहिनी, तैहा ये अधिरतिहा बेरा म काबर रोवत हस, तोला काय दुख पडे हावे? तै कोन हरस? इहां अकेल्ला काबर बइठे हस। रोवइया नोनी किहिस-मै ये राज के राजखजाना के मालकिन राज लक्ष्मी अवं भैया। इहां अरबो खरबो के खजाना भरे हावे। मै ये सोच के रोवत हवं कि तैहा ये तीन हाथ के धोती के कुटका म कतेक मोहर ला चोरा डारबे। जा ले आ हाथी घोडा, बडे बड़े घोडा गाड़ी अउ ले जा इहां के सब संपति ला। तै नइ जानत हस भैया, इहां के राजा ह नि:संतान हावे। मोला डर हावे कि राजा के मरे के बाद कोन्हो दुस्ट अउ पापी के हाथ मै पड़ जाहूं ते मोर दुर्गति हो जाही। मैहा तोर ईमानदारी म गजब खुश हवं मोला विश्वास हावे तोर संग रहिके मै खुश रहू। जा जल्दी ला घोड़ा गाड़ी, आज के रात म इहां के राजा ला सांप डसने वाला हे। सांप के बिख ले राजा नइ बांच सके। अतका बताके राजलक्ष्मी छप होगे।
राजलक्ष्मी के बात सुन के राजकुमार सन्न खागे। ददा के बात सुरता आगे, काबर कि वोहा कहे रिहिस कोन्हो मित्र घर चोरी झन करबे। चोरी के बात ला भुला के राजकुमार राजा के जीव बचाय के संसो मे पड़गे। वोहा तूरते हाथ म कटार ले के राजा के शयन कक्ष कोती रेंग दिस। शयनकक्ष मे राजा सुते रहय। चोर हा कोन्टा म लुका के राजा के पहरा दे लगिस। रतिहा जादा होइस तहन ले राजा के नाक डहर ले सूत के धागा असन नानकुन सांप निकलिस जउन ह देखते देखत भंयकर नाग बनगे। अउ राजा ला डसे बर फन फैलाके बैठ गे। मौका देख के पहरा देवत राजकुमार तुरते अपन कटारी ला निकालिस अउ सांप ला गोंदा गोंदा काट दिस। फेर ओखर कुटका ला अपन तीन हाथ के धोती म मोटरा के उही मेरन छोड के उहां ले कलुचुप निकलगें अउ अपन डेरा म आके सुतगे।
रतिहा पोहाय के बाद राजा सुत उठ के अपन जठना ला लहू मे तरबतर देखिस तब ओखर होश उड़गे। तुरते राज करमचारी मन ला खबर भेजिस। करमचारी मन आके देखिस तीर म कटार पडे रिहिस अउ मोटरा म कुछु बंधाय रहिस। मोटरा ला खोल के देखे गिस। नाग के कुटका देख सब हैरान होगे। सब ला समझ म आगे कोई वीर हितैशी ह ये नाग ले राजा के जीव के रक्षा करे हावे। फेर वोहा कोन आय, ये पता नई चलिस। मंत्री अउ परधान ह धोती के ओ कुटका ला पहचान डारिस। ओमन सोचिन -ये कुटका तो उही धोती के आय जेमा हमर घर के चोरी के समान मोटराय गे रिहिस होवे। यदि वो चोर के पता लग जाये तो सब बात साफ हो जाही। अब वो चोर ला पकडे बर जोर शोर से तियारी करे गिस। राजकुमार ला पकड ले गिस। अउ राजा के दरबार म लाने गिस।
चोर के ईमानदारी ला सुनके राजा खुश होगे। मंत्री अउ परधान ला शरम होगे। राजा ह वो राजकुमार ला अपन बेटा बना के राख लिस। अपन सब राज पाट अउ खजाना ला राजकुमार के नाव चढाय के घोसणा करके अपन उत्तराधिकारी बना दिस। राजमहल म सब ईमानदार चोर के जय जयकार करे लगिन। राज के सब जनता मन घला ईमानदार चोर ला अपन राजा पाके खुश होंगे। मोर कहिनी पुरगे दार भात चुरगे।
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बढिया कहानी लिखे हावस ग वीरेन्द्र , मोला नीक लागिस हे । ” सत्यमेवजयतेनानृतम् ।”