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कविता

ओहा मनखे नोहय

जेन ह दुख म रोवय नइ
मया के फसल बोवय नइ
मुड़ ल कभू नवोवय नइ
मन के मइल ल धोवय नइ
ओहा मनखे नोहय जी।

जेन ह जीव के लेवइया ए
भाई भाई ल लड़वइया ए
डहर म कांटा बोवइया ए
गरीब के घर उजरइया ए
ओहा मनखे नोहय जी।

जेन ह रोवत रोवत मरे हे
भाग ल अगोरत खरे हे
बेमानी के दऊलत धरे हे
जलन के भाव ले भरे हे
ओहा मनखे नोहय जी।

जेन चारी चुगली करत हे
दाई ददा के घेंच धरत हे
पइया के खातिर मरत हे
आन के सुख म जरत हे
ओहा मनखे नोहय जी।

जेन कभू नइ पतियात हे
अपन ल नइ बतियात हे
लइकामन ल लतियात हे
सीधवा पाके हतियात हे
ओहा मनखे नोहय जी।

जेन दारू गांजा पियत हे
भक्ति सेवा बिन जियत हे
महतारी ल नइ चिन्हत हे
अऊ अब्बड़ खीख नियत हे
ओहा मनखे नोहय जी।
dinesh chaturvedi
दिनेश रोहित चतुर्वेदी
खोखरा, जांजगीर

12 replies on “ओहा मनखे नोहय”

सुनिल शर्मा नीलsays:

का बात हे दिनेश भाई अड़बड़ सुग्घर…जम्मो रचना के हर भाखा म सन्देश भरे हे…..बधाई हो

सुनिल शर्मा नीलsays:

हर भाखा म जादू हे भाई अड़बड़ सुग्घर रचना बधाई हो आपमन ल

सुनिल शर्मा "नील"says:

अड़बड़ सुग्घर रचना दिनेश भाई हर भाखा म जादू हे…बधाई हो

सुनिल शर्मा "नील"says:

अड़बड़ सुग्घर रचना भाई हर भाखा म जादू हे बधाई हो

Dinesh rohit chaturvedisays:

dhnyavad sunil bhiya ..aisnhe manobal badat rahav

Dinesh rohit chaturvedisays:

vijendra ji l dhanyvad

Dinesh rohit chaturvedisays:

Lahre ji l dhanyvad

Dinesh rohit chaturvedisays:

Dhanyvad ajay bhaiya

शकुन्तला शर्माsays:

सही बात ए ग प्रेमचंद हर घलाव एही बात ल कहे हावय कि मनखे वोही ए जौन दुख म रोथे सुख म हॉसथे आऊ बउछा जाथे तव ओकर गुस्सा के का कहना ? कहे के मतलब सरल – सहज ,व्यवहार हर फबथे ।

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