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कविता

कबिता : घाम जनावत हे

बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।

तात तात आगी असन
हवा बोहावत हे
कोयली मइना सुआ परेवा
नइ गुनगुनावत हे
छानही खपरा भिथिया भूंइया
जमो गुंगुवावत हे
कुकरी बोकरी गरवा बइला
बछरू नरियावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।

गली खोल गांव सहर
घर सिनिवावत हे
नल नहर नदिया समुंदर
तरिया सुखावत हे
बिहनिया मझनिया रथिया ले
लइका चिल्लावत हे
कूलर पंखा एसी फिरिज
सबला भावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।

सुरूज देव अपन ताकत ल
सबला बतावत हे
घर के बाहिर भीतरी म
पसीना बोहावत हे
घाम म झन किंजरबे संगी
लू लग जावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।

पीपर बर लीम आमा के
छांव सुहावत हे
मरकी के ठंडा पानी ले
पियास बुझावत हे
आमा चटनी बोरे बासी
बड़ मिठावत हे
रद्दा ह अंगरा के होगे
घेंच सुखावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी
घाम जनावत हे।
dinesh chaturvedi

 

 

 

दिनेश रोहित चतुर्वेदी
खोखरा, जांजगीर

14 replies on “कबिता : घाम जनावत हे”

बहुत घाम जनावत हे। दिनेश जी। बहुत बहुत बधाई हो। कविता बर।

Dinesh rohit chaturvedisays:

Dhnyavad dev bhai

Dinesh rohit chaturvedisays:

Dhanyvad bijendra bhaiya

Vinay pandeysays:

Bhahut badiya likhe has bhai
Badhai

sunil sharmasays:

सुग्घर रचना भाई….बधाई हो

Dinesh rohit chaturvedisays:

Sunil bhaiya l dhanyvad …
Jai johar

Mahendra Dewangan Matisays:

आपके रचना बहुत सुघ्घर लागिस दिनेश जी बधाई हो |

anurag sharmasays:

Bahut khub….
badhai bhai….

Ab gham sirage bhai barsat bar kavita likh
badiya…

अजय अमृतांशुsays:

आपके रचना सुघ्घर लागिस दिनेश भाई बधाई हो

Dinesh rohit chaturvedisays:

DHNYAVAD AJAY BHAIYA…..JAI JOHAR

Doman Sonkarsays:

बहुत सुग्घर कविता लिखे हस संगवारी

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