कविता : कहॉं लुकाये मोर मईया





कहॉं लुकाये मोर मईया
तोला खोज डारेंव ओ
कोने गांव – नगर डगर में मईया, कोने शहर में मईया
जस ल तोर मन म गुनगुनाथौं
हिरदे म सुमिरन करथौं
कहॉं लुकाये मोर मईया
तोला खोज डारेंव ओ
रायगढ बुढी माई गयेंव
चन्र्यपुर चन्र्रहासनी ओ
सारंगढ समलाई गयेंव
कोसीर कुशलाई ओ
अडभार के अष्टभुजी गयेंव
रतनपुर महमाई ओ
तोला खोज डारेंव ओ
कहॉं लुकाये मोर मईया
कोने गांव – नगर डगर में मईया, कोने शहर में मईया
तोर चरन के धुर्रा – माटी माथ म लगायें
मन मोर तरगे जिनगी मोर संवरगे
ऑंखी के मोर पियास बुझागे
हिरदे के कलपना जुडागे
मन मोर सपना रहिस
सपना घलो संवरगे
तोर अंगना के पानी पिके
जिनगी मोर सरल होगे
तोला खोज डारेंव ओ
कहॉं लुकाये मोर मईया
कोने गांव – नगर डगर में मईया, कोने शहर में मईया
डोंगरगढ बम्बलाई गयेंव
रायपुर के बंजारी ओ
दंतेवाडा के दन्तेश्वरी गयेंव
मल्हार के डिडिनेश्वरी ओ
तोला खोज डारेंव ओ
कहॉं लुकाये मोर मईया
कोने गांव – नगर डगर में मईया, कोने शहर में मईया

लक्ष्मी नारायण लहरे ‘साहिल’
युवा साहित्यकार पत्रकार
कोसीर सारंगढ, जिला रायगढ छत्तीसगढ
मो 0 9752319395
ई मेल – shahil.goldy@gmail.com



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