नाली चाही बिजली पानी चाही रे।
कोनो होवय नेता मा दमदारी चाही रे।।
नान-ना काम बर घूमेल झन लागय,
भसटाचारी मन दुरीहा भांगय,
गरीब के संगवारी चाही रे।
जाम झन होवय रद्दा मोटर गड़ी मा ,
दिया छोड़ कुछू माढ़य झन दुवारी मा।
हमला ता रोड खाली-खाली चाही रे।।
नाचय झन जेन हा पईसा मा,
सोसन बर लड़य चढ़ भईसा मा,
नांग नथैया बनवारी चाही रे।।
लिखव, पढ़व, सोचव अपन भाखा मा,
कतका दिन छलही सकुनी के पासा हा,
हावव हुसियार फेर हुसियारी चाही रे।।
राजकमल सिंह राजपूत,
दर्री (थान खम्हरिया)
मोबा. नं.- 9981311462