साधु ल जम्मों झन माने, बड़ पईसा वाला मन घलो ओखर चेला राहय, अऊ ओखर कहे ल कभू नई काटय। त साधु अपन चेला ल बुला के कथे तेहा रहीम ट्रेवल्स के मोटर ल बीसा ले अऊ मोटर म राम ट्रेवल्स लिखवा के चला। ओखर चेला वइसने करथे। फेर एक महीना के बाद म दूसर चेला ल तेहा उही मोटर ल बीसा के गोविंद ट्रेवल्स लिखवा के चला कथे, त वोहा गुरु के कहना मान के मोटर तो बीसा डरथे फेर बने नई चला सके त दस-बारह दिन म डेविड करा बेच देथे त वोहा मोटर ल बीसा के ईशु ट्रेवल्स लिखवा के चलाथे।
अब तीन महीना के गे ले, गांव वाला मन साधु करा आथे, त साधु ओमन ल बइठार के हालचाल पुछथे, अऊ कथे अब तुमन कमाय बर कते मोटर म जाथो त गांव वाला मन बताथे ईशु ट्रेवल्स में जाथन महाराज! त साधु कथे अऊ ओखर ले पहिली कामे जावत रेहेव? त गांव वाला मन सब नाव ल ओरियाथे। त साधु कथे आने-आने मोटर म जाथो त आने-आने ठऊर म जावत होहू! अऊ तुंहर गांव म भारी नवा-नवा मोटर चलथे जी! त गांव वाला मन कथे नही महाराज गाडी उहीच आय अऊ उहीच ठऊर म जाथन फेर नाव भर बदलत रथे। त साधू हांस के कथे इही गोठ ल तो महु कहे रेहेव के नाव बदले ले न गाड़ी बदले न ठऊर, त एक झन कथे, बने फरिया के बता न महाराज.!
त साधु कथे के ये हमर तन हा गाड़ी आय जेला हमन हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई अऊ कोन जनी का-का नाव ले चिन्थन। जइसे वो मोटर के नाव बदले ले ओखर काया हा नई बदलिस वइसने हमर जात-धरम के बदले ले काया ह नई बदले। तभो ले हमन ये नाव मन बर अपने-अपन कटथन मरथन, कतको झन हा ये धरम ले वो धरम नाचत रथे, कोनहो हा भेदभाव म अपन अंतस ल मइला डरे रथे, फेर भगवान के बनाय तन हा उहीच रही। अऊ जम्मों झन के आखिरी ठऊर का हरे? जम्मों मनखे ल आखिर में मरघट्टठीच तो जाना हे! त जात-धरम के नाव ले लड़ई-झगरा करे के का मतलब हे। ये तन हा मोटर बरोबर आय, थोकन बेरा बर येमा चघे ल मिल जथे त हमन बड़ इतराथन, ताहन फेर जुच्छा के जुच्छा। तिही पाय के तो कथो नाव बदले ले न गाड़ी बदले न ठऊर, अब गांव वाला मन के आंखी उघर गे अऊ जम्मों झन मिलजुर के रेहे लागिस।
ललित साहू “जख्मी” छुरा
जिला – गरियाबंद (छ.ग.)
9993841525