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पढ़ईया मन अपन रचना ला,या फेर संकलित रचना ला सब्बो संग साझा नई कर सकै, जेन बर कुछु करव।
पाठक अपनी या संकलित रचनाओं को भी यहां साझा कर सके ऐसी व्यवस्था भी होनी चाहिए। कृपया विचार करें।
हव तुषार भाई, मैं उदीम करत हंव.
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हव तुषार भाई, मैं उदीम करत हंव.