सन अटठारा सौ संतावन, लक्ष्मी बाई जब आइस
काली बन के टूट परीस वो, सबला मजा चखाइस
दे दीस अपन जान के बाजी ,कइसे हम भुलाबोन ।
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गाबोन ।
फिरंगी के राज में सबझन , कतका दुख ल पाइस।
राजगुरु अऊ भगत सिंह ल, फांसी में चढाइस।
हांसत हांसत झूलगे झूला , कुरबानी कहां भुलाबोन ।
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गाबोन ।
सत्य अहिंसा के पुजारी, गांधी बबा ह आइस ।
स्वदेशी के मान रखे बर,चरखा खूब चलाइस ।
ओकर संदेश नइ जाय बेकार , स्वच्छता ल अपनाबोन ।
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गाबोन ।
आन बान अऊ सान तिरंगा, एकर मान बढाबोन
जान के बाजी देके अपन, एला हम बचाबोन ।
रखबो एकर लाज हमन अब ,लहर लहर लहराबोन
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गाबोन ।
तीन रंग के हमर तिरंगा, सान से हम लहराबोन
वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गाबोन ।
–महेन्द्र देवांगन “माटी”
गोपीबंद पारा पंडरिया
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