मनखे जनम जात एक ठन सामाजिक प्राणी आवय । ऐखर गुजारा चार झन के बीचे मा हो सकथे । एक्केला मा दूये परकार के मनखे रहि सकथे एक तन मन ले सच्चा तपस्वी अउ दूसर मा बइहा भूतहा जेखर मानसिक संतुलन डोल गे हे । सामाजिक प्राणी के सबले छोटे इकाई घर परिवार होथे, जिहां जम्मोझन जुर मिल के एक दूसर के तन मन ले संग देथें अपने स्वार्थ भर ला नई देखंय कहू कोनो एको झन अपन स्वार्थ ला अपन अहम ला जादा महत्व दे लगिन ता ओ परिवार के पाया ह डोले लगथें अउ ओ धसक जाथे । परिवार ला बचाय रखे मा छोटे ले लेके बड़े तक के सहयोग होथे । ओही रकम गांव अउ देष सबो आय एक झन के बलबूता मा ना गांव बनय ना देष । लोकतंत्र मा देष के राजा आम जनता हा होथे अउ नेता मन हमर चुने प्रतिनिधि । जइसे पहिली गौटिया मन मुकतियार राखय अउ अपन बगरे काम के जिम्मेदारी ला देवंय ओइसने नेता मन जनता के मुकतियार होथे अउ अधिकारी करमचारी मन जनता के नौकर । फेर एक बात देखे मा आथे के हमन सोचथन गांव अउ देष तो सरकार अउ ओखर मातहत करमचारी मन के ये हमला का करे ला हे । सोच के देखव भला गांव, देष आखिर आय काखर तोरे रे भई ये देष के मालिक तही हस । ये देष हा तोर ऐ, मोर ऐ, ऐखर ऐ, ओखर ऐ अरे भई सबो के ऐ ।
ऐमा का अड़चन हे के देष हा सबो के ऐ ता । जइसे अपन परिवार मा 8-10 मनखे रहिथन ता घर के खेत-खार, धन-दौलत सबो झन के आय के नही । जम्मा झन ऐखर देख-रेख करथन के नही । अपन-अपन ताकत के पूर्ति लइका अउ सियान अपन पिरवार के देख-रेख करथन । ओइसने भइया अपन देष के अपन गांव के देख-रेख करना हे । वास्तव म मनखे परानी कोनो चीज ला अपन मान लेथे तभे ओखरे बर मया करथे अउ ओखर देख-रेख करथे जइसे कोनो किसनहा अपन खेत मा धसे गाय-गरूवा ला खेदथे दूसर के खेत के ला नई खेदय । कोनो मनखे दूसर मनखे के रिष्तेदार के मरे मा नइ रोवय अपनेच बर रोथे ।
अपन मान ले तैं कहूं, तोरे ओ हर आय ।
पर के माने तै कहूं, सबो उजड़ तो जाय ।।
ये मोहल्ला हा, ये पारा हा, ये गांव हा, ये देश हा तोरे तो आय । दिल ले मान ऐला अपन घर परिवार कस जान अउ ओइसने ऐखरो देख भाल कर । अपन मुह के कौरा ला लइका ल देथस नही ओइसने छेके परिया ला गाय गरूवा बर छोड़, गली ला सकेले चैरा बनाय हस तेला, सबके रेंगे बर फोर । गांव के गली मा कचरा छन कर, छन कर तरिया नदिया के घठौंदा ला तैं गंदा, तरिया नरवा पार मा झन बना अपन बसेरा । गांव ला साफ सुथरा चातर रख, अपन अंगना कस । अइसन कहू हमर सबके सोच होय ता हमर गांव सुधरही, हमर देष सुधरही । ऐ एक झन के बुता नो हय सबो छन के जुरमिल के परयास करे मा ये काम सवरही काबर के गांव होवय के देश सबो के आय ।
–रमेशकुमार सिंह चौहान
मिश्रापारा नवागढ,
जिला-बेमेतरा
मो 9977069545