ऐमा का अड़चन हे के देष हा सबो के ऐ ता । जइसे अपन परिवार मा 8-10 मनखे रहिथन ता घर के खेत-खार, धन-दौलत सबो झन के आय के नही । जम्मा झन ऐखर देख-रेख करथन के नही । अपन-अपन ताकत के पूर्ति लइका अउ सियान अपन पिरवार के देख-रेख करथन । ओइसने भइया अपन देष के अपन गांव के देख-रेख करना हे । वास्तव म मनखे परानी कोनो चीज ला अपन मान लेथे तभे ओखरे बर मया करथे अउ ओखर देख-रेख करथे जइसे कोनो किसनहा अपन खेत मा धसे गाय-गरूवा ला खेदथे दूसर के खेत के ला नई खेदय । कोनो मनखे दूसर मनखे के रिष्तेदार के मरे मा नइ रोवय अपनेच बर रोथे ।
अपन मान ले तैं कहूं, तोरे ओ हर आय ।
पर के माने तै कहूं, सबो उजड़ तो जाय ।।
ये मोहल्ला हा, ये पारा हा, ये गांव हा, ये देश हा तोरे तो आय । दिल ले मान ऐला अपन घर परिवार कस जान अउ ओइसने ऐखरो देख भाल कर । अपन मुह के कौरा ला लइका ल देथस नही ओइसने छेके परिया ला गाय गरूवा बर छोड़, गली ला सकेले चैरा बनाय हस तेला, सबके रेंगे बर फोर । गांव के गली मा कचरा छन कर, छन कर तरिया नदिया के घठौंदा ला तैं गंदा, तरिया नरवा पार मा झन बना अपन बसेरा । गांव ला साफ सुथरा चातर रख, अपन अंगना कस । अइसन कहू हमर सबके सोच होय ता हमर गांव सुधरही, हमर देष सुधरही । ऐ एक झन के बुता नो हय सबो छन के जुरमिल के परयास करे मा ये काम सवरही काबर के गांव होवय के देश सबो के आय ।
–रमेशकुमार सिंह चौहान
मिश्रापारा नवागढ,
जिला-बेमेतरा
मो 9977069545