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गीत : दीन दयाल साहू

मै हा नहकाहूं डोगा पार,आवत हे प्रभु मोर द्वार।
तैहा जग के ,आये पालन हार ये मोरे स्वामी।
राम लक्ष्मण दूनो भाई ,संग मा हावे सीता माई।
तैहा जग के ,आये पालनहार।
नइ डूबो कभू। मझदार,सेवा में आयेव मल्हार ।
तैहा जग के ,आये पालानहार मोरे स्वामी ।
तोर चरण मैहा परवार हूं ,सब सागर मे हा तर जाहूं।
तेंहा जग के ,आये पालनहार ।
नेंना मोर तरसत हे आज ,कब आबे प्रभु तै मोर घाट।
तेंहा जग के,आये पालनहार ।
नैना मोर तरसत हे आज ,कब आबे प्रभु तै मोर द्याट।
तेंहा जग के आये पालनहार ।
तैहा दरशन देदे राम अबनई जावव चारो धाम।
तेहा जग के ,आये ,पालनहार।
अब कभू नई रहाव उदास, सबो पूरा होवत हे आस ।
तैहा जगके ,आये पालनहार।
होवत हे अब मोर उद्धार,सुख ले करहि अब दिन चार।
तैहा जग के ,आये पालनहार ।

दीन दयाल साहू
संपादक – चौपाल हरिभूमि, रायपुर

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