अशोक के पत्ता ल घर के दरवाजा म वंदनवार के रूप म लगाये जाथे। एखर से घर म नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव नई पड़य। एखर पत्ता के उपयोग धार्मिक कार्य म होते रहिथे। अषोक के रूख हर सदाबहार हवय। ये हर हर मौसम म हरा-भरा अउ सुंदर दिखथे।
रावण हर अपन वाटिका म अशोक के रूख लगाय रहिस हवय तेखर सेती वो वाटिका के नाव अषोक वाटिका रखीस हवय। जब रावण हर सीता माता ल हर के लेगीस हवय त सीता माता हर वोही अषोक के रूख के तरी म बइठिस तभे सीता माता के दुख दूर होइस हवय। एखर सेती एखर पौराणिक महत्व जादा हवय। एखर तरी म बइठ के पूजा-पाठ करे जाय त मन ल शांति अउ सकारात्मक फल मिलथे।
अशोक के रूख 2 प्रकार के होथे-पहला रूख जेखर पत्ता हर रामफल के समान अउ फूल हर नारंगी रंग के होथे। दुसरइया अषोक जेखर पत्ता हर आमा के पत्ता कस अउ फूल हर सफेद होथे। जेन घर म ये रूख लगे रहिथे वो घर म धन-संपत्ति के कोनो कमी नई होवय।
अगर कोनो मनखे धन के कमी ले परेशान हवय त वो हर अषोक के रूख के जड़ ल नेवता देके अपन घर म लाके तिजोरी, दुकान या पवित्र जगहा म रख दीही त ओला धन-संपत्ति के कमी नई होवय।
पति-पत्नी के बीच म अगर तनाव हवय त अषोक के सात ताजा पत्ता ल देवी देवता के प्रतिमा के आघू म रखना चाहिए अउ जब वो पत्ता हर मुरझा जावय त दूसर सात पत्ता आमेर रखना चाहिए अउ सुखाय पत्ता ल पीपल के रूख के तरी म डार देना चाहिए। ए उपाय से पति-पत्नी के बीच म मया हर बाढ़थे।
जब घर म कोनो मंगल कार्य होथे त अशोक के पत्ता ल वंदनवार लगाना चाहिए। वंदनवार अइसे लगाना चाहिए कि अवइया-जवइया के मुड़ म वो पत्ता हर छुवावय। अउ जादा ऊपर म नई लगाना चाहिए। एखर पत्ता ल घर के मुख्य द्वार म लगाना चाहिए, एखर से नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नई कर सकय। अइसे माने जाथे कि जेन मेर ये पत्ता ल लगा दे जाय त ओखर प्रभाव हर छः महीना तक बन रहिथे। एखर पत्ता ल लगाय के बाद वोला तब तक नई हेरना चाहिए जब तक कोनो नया मांगलिक कार्य घर म फेर न हो जाय।
संकलन अउ अनुवाद
मनोज कुमार श्रीवास्तव
शंकर नगर नवागढ़,
जिला- बेमेतरा, छ.ग. 491337
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