दुर्गा के दरबार मा, मिटे, दरद ,दुःख, क्लेस।
महिमा गावें रात-दिन, ब्रम्हा बिस्नु महेस।। ओ मईया ……
किरपा कर कात्यायिनी, मोला तहीं उबार।
तोर सरन मा आये हौं, भाव-सागर कर पार।। ओ मईया ……
हे महिसासुर मर्दिनी, सुन ले हमर गोहार।
पाप मिटा अउ दूर कर, जग के अतियाचार।। ओ मईया ……
दरसन दे जग-मोहिनी, मन परसन हो जाय।
कट जाय कस्ट, कलेस अउ, सबके नैन जुड़ाय।। ओ मईया ……
सुमिरौं तोरे नाम ला, जस गावौं दिन-रात।
सर्व मंगला सीतला, सुख के कर बरसात।। ओ मईया ……
शैल पुत्री सिंहवाहिनी, पैयाँ लागौं तोर।
तोर सरन मा आये हौं, दुःख-संकट हर मोर।। ओ मईया ……
तीन लोक, चारों जुग मा, तोर ममता के छाँह।
जगदम्बा मा उबार ले, मोर पकड़ के बाँह।। ओ मईया ……
हे महामाया दूर कर, जग के माया जाल।
मन झन अरझे मोह मा, काट दे सब जंजाल।। ओ मईया ……
पाँव परत हौं चंडिका, दुःख बिपदा कर दूर।
तोर सरन मा आये ले, दुःख बन उड़य कपूर।। ओ मईया ……
अरुण कुमार निगम
सरलग …