ओ मईया ……
मूड़ मुकुट- मोती मढ़े, मुख मोहक-मुस्कान।
नगन नथनिया नाक मा, कंचन-कुंडल कान।। ओ मईया ……
मुख-मंडल चमके-दमके, धूम्र विलोचन नैन।
सगरे जग बगराये मा, सुख-संपत्ति,सुख-चैन।। ओ मईया ……
लाल चुनर, लुगरा लाली, लख-लख नौलख हार।
लाल चूरी, लाल टिकुली, सोहे सोला सिंगार।। ओ मईया ……
करधन सोहे कमर मा, सोहे पैरी पाँव।
तोर अंचरा दे जगत ला, सुख के सीतल छाँव।। ओ मईया ……
कजरा सोहे नैन मा, मेहंदी सोहे हाथ।
माहुर सोहे पाँव मा, बिंदी सोहे माथ।। ओ मईया ……
एक हाथ मा संख हे, एक कमल के फूल।
एक हाथ तलवार हे, एक हाथ तिरसूल।। ओ मईया ……
एक हाथ मा गदा धरे, एक मा तीर-कमान।
एक हाथ मा चक्र हे, एक हाथ वरदान।। ओ मईया ……
अष्टभुजा मातेश्वरी, महिमा अपरम्पार।
तीनों लोक तोर नाम के, होवै जय जयकार।। ओ मईया ……
नव राती धर आये हे, नौ दुर्गा-नौ रूप।
गरबा खेले भक्त संग, आनंद अति-अनूप।। ओ मईया ……
अरुण कुमार निगम
सरलग …..