लोभ मोह हिंसा हटे, काम क्रोध मिट जाय।
सतजुग आये लहुट के, अइसन कर तयं उपाय।। ओ मईया ……
अनपूरना के वास हो, खेत खार खलिहान।
कोन्हों लाँघन झन रहै, समृद्ध होय किसान।। ओ मईया ……
तोर बसेरा कहाँ नहीं, कन-कन तहीं समाय।
जउन निहारे भक्ति से, तोर दरसन फल पाय।। ओ मईया ……
अँचरा मा ममता धरे, नैनंन धरे सनेह।
बिन मांगे आसीस मिलय, शक्ति समाये देह।। ओ मईया ……
कटय तोर सेवा करत, जिनगी के दिन चार।
तोर नाम के आसरा, तहीं मोर संसार।। ओ मईया ……
अरुण कुमार निगम