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चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 6 : अरुण कुमार निगम

मात-पिता के मान हो, गुरु के हो सम्मान।
मनखे बन मनखे जीये, सद्बुद्धि दे दान।। ओ मईया ……

लोभ मोह हिंसा हटे, काम क्रोध मिट जाय।
सतजुग आये लहुट के, अइसन कर तयं उपाय।। ओ मईया ……

अनपूरना के वास हो, खेत खार खलिहान।
कोन्हों लाँघन झन रहै, समृद्ध होय किसान।। ओ मईया ……

तोर बसेरा कहाँ नहीं, कन-कन तहीं समाय।
जउन निहारे भक्ति से, तोर दरसन फल पाय।। ओ मईया ……

अँचरा मा ममता धरे, नैनंन धरे सनेह।
बिन मांगे आसीस मिलय, शक्ति समाये देह।। ओ मईया ……

कटय तोर सेवा करत, जिनगी के दिन चार।
तोर नाम के आसरा, तहीं मोर संसार।। ओ मईया ……

अरुण कुमार निगम

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