गवां गेंहव अपने घर म बनगे मंय जिगयासा हौं
खोजत हौं अपन आप ल मंय छत्तीसगढ़ी भासा औं।
सहर म पूछारी नइ हे गांव के मन भगवारत हे
कोन बचाही मोला संगी अंगरेजी अडंगा डारत हे
कहुं कति ठऊर नइ हे ढुलत जुआ के पासा औं
खोजत हौं अपन आप ल मंय छत्तीसगढ़ी भासा औं।
अधिकारी सरमावत हे त चपरासी ह डरावत हे
बदल गेहे दुनिया ह अब कोनो मोला नइ भावत हे
धरमदास के गुरतुर बानी सुंदरलाल के गाथा औं
खोजत हौं अपन आप ल मंय छत्तीसगढ़ी भासा औं।
कमपूटर म जघा नइ हे मोबाइल ह फटकारत हे
इस्कूल घलो म गुरूजी ह मोर गोठ ल टारत हे
अड़हा मन के आसा अऊ लइका बर तमासा औं
खोजत हौं अपन आप ल मंय छत्तीसगढ़ी भासा औं।
पढ़ाई लिखाई होवय नइ बोलइया कमतियात हे
अपन दुख ल काला कहव कोनो नइ पतियात हे
सोन रहेंव एक जमाना म अब सिरफ कांसा औं
खोजत हौं अपन आप ल मंय छत्तीसगढ़ी भासा औं।
गीत नाटक कहिनी मोर कोनो ल नइ सुहावत हे
पराया बोली के महिमा ह मोरे घर बोहावत हे
लड़त लड़त थकगंेव अब भूखा अऊ पियासा हौं
खोजत हौं अपन आप ल मंय छत्तीसगढ़ी भासा औं।
दिनेश रोहित चतुर्वेदी
खोखरा,जांजगीर
9617905417
बहुत ही सुग्घर रचना भाई….बधाई हो आपमन ल
Apke ye kabita l rajbhakha tak pahuchake puraskrit karaye jaye
bhakha ke atek sugghar manvikaran au kono ni kar sakay
aise lagat he jaise kabita h bolat he …Bahut badiya likhe has bhai