लोक जीवन में बोलचाल में मुहावरा के बड़ महत्व हे। ये भाखा अउ बोली के सिंगार होथे।
ये ह गोठ बात के बेरा म ओला परभावशाली अउ वजनदार बनाथे। ये गोठ बात ल पूरा करे के साथे -साथ सही समे अउ इस्थान में परयोग करे ले बोलइया-लिखइया के भाखा में परगट करथे। हमर छत्तीसगढ़ी घलो ह एक बड़हर भाखा आय।
मय अपन बीच उठया-बैठइया साहित्यकार संगवारी मन ल पूछेंव कि मुहावरा ल छत्तीसगढ़ी म का कहिथे, तो कोनो सुलिनहा जवाब नइ दिन। कोनो ‘हाना’ बताइन तो कोनो ‘पटन्तर’ कहिन। जबके हाना अउ पटन्तर हर कहावत या लोकोक्ति बर छत्तीसगढ़ी सब्द आय मुहावरा के नोहे। ऐखरे सेती मैंहर मुहावरा ल छत्तीसगढ़ी में घलो मुहावराच लिखत हौं।
लोक जीवन में बोलचाल में मुहावरा के बड़ महत्व हे। ये भाखा अउ बोली के सिंगार होथे। ये ह गोठ बात के बेरा म ओला परभावशाली अउ वजनदार बनाथे। ये गोठ बात ल पूरा करे के साथे साथ सही समे अउ इस्थान में परयोग करे ले बोलइया-लिखइया के भाखा में परगट करथे। हमर छत्तीसगढ़ घलो ह एक बड़हर भाखा आय। येमा मुहावरा के कमी नइ हे। ऐमा से कुछ के बरनन में हर इहां करना चाहत हों। साथे-साथ मैं येला घलो बताना चाहत हौं के अंगरेजी के परभाव ले घलो बोलचाल में कतको नवा मुहावरा के परयोग छत्तीसगढ़ी म होना सुरू हो गे हे।
पहिली हमर छत्तीसगढ़ी के कुछ मुहावरा ऊपर धियान देबो। जेमा कोनो दूसर भाखा के परभाव नइ हे। जइसे पल्ला भागना, छू लम्बा होना, पटन्तर देना, चिटपोट नी करना, उछिन होना, लइका के मुंह में पेरा गोंजना, धुर्रा धराना, धुर्रा छुड़ाना आदि। अउ कतको मुहावरा हवे फेर उदाहरण खातिर अतके काफी हे। अब में हर एकर परयोग करके बतावत हों के इन मुहावरा के का अरथ होथे।
# डुगेस हर सुनिस के सड़क में आनी-बानी के खेलौना बेचाय बर आय हे तो पठेरा म रखाय बीस्सी के नोट ल धरिस अउ ‘छू लम्बा’ होगे। ओखर मां हर के बीस्सी के नोट ल खोजथे तो ओकरा नी पाय। ओहर अपन बेटी रमेसरी ल पूछथे- ‘बेटी एकर रखाए बीस्सी के नोट ल देखे हस का ओ। अभीच रखे रेहेंव, फेर कहां छिन होगे।’
‘नी ही मां, फेर में हर डुगेस ल दो कोती ‘पल्ला भागत देखे हौं।’ उही हर धर के भागे होही।’
दूसर उदाहरण देखौ-
# नल करा माइ लोगन मन पानी भरत राहय। दू झन में झगरा होगे। एक झन ह पटन्तर दे दे के बखाने लगिस तो दूसर हर अपन घर के जम्मो मनखे ल जुरिया लिस। पूरा परिवार ल जुरियाय देख के पहिली के बोलती बंद होगे।
‘ले न दे या पटन्तर, अब कइसे चिटपोट नी करस।’
‘धुर्रा नी छड़ा दूहूं तो महूं फलानिन नो हौं।’
तीसरा उदाहरण-
# धुर्रा धराना अउ, लइका मन के मुंह में पैरा गोंजना, समान अरथ वाले मुहावरा आय फेर समे अउ मउका देख के एकर अलग-अलग परयोग होथे। जब कोनो ल ओखर जिनिस या काम के बरोबर दाम नी मिलय तब धुर्रा धराना मुहावरा के परयोग होथे। उंहे जब कोनो ल ओखर वाजिब हक नी मिले तो कहे जाथे ओखर लइका मन के मुंह में पैरा गोंज दिस।
अब हमन कुछ अइसन मुहावरा ऊपर धियान देबो जेमा अंगरेजी के परभाव देखे ल मिलथे। जइसे हलवा टाइट, हेलफरी करना, टापोटाप, साटकट, रोड फूटना आदि।
# हलवा टाइट होना मुहावरा के परयोग उहां होथे जब काम बहुत मुस्किल होथे अउ ओला सिध्द पारना घलो जरूरी रथे। काम ल पूरा करत-करत मनखे के हिम्मत जवाब दे देथे तब केहे जाथे- ‘जा न ऊंहा तोर हलवा टाइट होही।’ एमा टाइट हर अंगरेजी सब्द आय।
# हेलफरी करना- अंगरेजी भाखा के परभाव ले बने नवा मुहावरा आय। जउन हर अंगरेजी के हेल्पर सब्द ले बने हे। ‘सबर दिन हेल्फरीच करत रहिबे के डरैबर बनबे रे।’
# टापोटाप घलो नवा मुहावरा आय, जउन असल में अंगरेजी के टाप-टू-टाप आय। एक बार मोला मोटर साइकिल से झलप जाना रिहिस। फिंगेसर में एक झन चिन्हार महाराज करा ऊंहा पहुंचे के रद्दा पूछेंव तो बताइस महासमुन्द ले तुमगांव जाय बर साटकट रोड फूटे हे। एटेरियल (इंटीरियर) रोड आय। फेर सड़क टापोटाप हे। ओखर बताए के मतलब रिहिस के सड़क बढ़िया हे अउ ते मोटर सइकिल ल टापोटाप भगा सकथस। इहां साटकट सब्द ल घलो फरिहा देना ठीक रइही साटकट अंगरेजी के शार्टकट आय जउन ह छत्तीसगढ़ी में मुहावरा के रूप में परयोग होय ल लगे हे।
दिनेश चौहान
शीतलापारा,
नवापारा राजिम
छत्तीसगढ़ी कहावत के बारे जानकारी दी इसके लिये धन्यवाद. काश जानकारी हिन्दी मे होती।
छत्तीसगढ़ी मुहावरा के परयोग बने लागीस |