जउन हर सत्ता धारी हे।
उही मन तो बैपारी हे।
जिनकर डमरु बजात हावै,
सही मा ओ ह मदारी हे।
बिरथा बात मुँहू म आथे,
उही ला कहिथे गारी हे।
जउन हर पी माते हावै
उनकर घर म कलारी हे।
दुरपती ला सरबस हारिन,
उही मन सच म जुवारी हे।
कलारी=शराब की दुकान
–बलदाऊ राम साहू