छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल : सत्ता धारी

जउन  हर  सत्ता  धारी  हे।
उही  मन  तो   बैपारी   हे।
जिनकर डमरु बजात हावै,
सही  मा  ओ  ह  मदारी हे।
बिरथा  बात  मुँहू  म आथे,
उही  ला  कहिथे  गारी  हे।
जउन   हर  पी  माते  हावै
उनकर घर  म  कलारी  हे।
दुरपती ला सरबस  हारिन,
उही मन सच म  जुवारी हे।
कलारी=शराब की दुकान
बलदाऊ राम साहू

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