दाउ जी ह गम्मत के माध्यम ले समाज म छाये बुराइ ला भगाये खातिर, ओखर असल रूप ला प्रस्तुत करय। जेखर ले जनता सीख लेवय अउ ओ बुरइ ला छोड़े के उदीम करय। दाउ के रवेली साज नाचा पार्टी के जम्मो गम्मत मन सिक्छाप्रद अउ समाज म संदेसा देवइया रहिस। दाउजी अपन गम्मत म हांसी-ठठ्ठा, बियंग अउ समाज के पीरा ला देखावय। इंखर ‘मेहतरिन’ गम्मत के सोर अड़बड़ रहिस। येमा समाज म छाये छूवा-छूत अउ कट्टर बाम्हनवाद के हांसी-बियंग म जब्बर विरोध रहिस। ‘इरानी’ गम्मत म हिन्दू मुसलमान भाईचारा अउ परेम के संदेसा रहिस, बुढ़वा अउ बालविवाह के विरोध म घलव इमन ह एक ठन नकल खेलय तउन ह भरपूर हांसी-बियंग संग संदेसा देवय। इखर इही नकल ला पाछू हबीब तनवीर जी ह ‘मोर नाव दमाद मोर गांव के नाव ससुरार’ नाम ले खेलिस तउन हा देस-बिदेस म अड़बड़ पसंद करे गीस। दाउजी ह अपन गम्मत म उही समय के समाज के स्तिथि ला देखावय, इखंर ‘मरारिन’ नकल म देवर भउजी के बीच दाई बेटा कस परेम ला बतावत रहिसे त ओ समय स्वतंत्रता आन्दोलन ल बढ़ाये खातिर देसभक्ति के नकल तको करे जावय जेन म अंग्रेज मन बर कड़ा ले कड़ा पाठ बोले जाए। दाउजी के अंग्रेज मन के बिरोध म गम्मत खेलइ के कारन कुछ दिन ले इंखर गम्मत म अंग्रेज सरकार ह प्रतिबंद लगा दीस तभो ले दाउजी अपन रंग म रंगे गांव-गांव जाके नाचा खेलत रहिस।
दाउजी ह नाचा म फिलमी प्रभाव ले होवत बेढ़गापन ला रोके बर अउ नाचा म छत्तीसगढ़ के पारंपरिक स्वरूप ला बचाए राखे काम करिन । दाउ मंदराजी ह हमर पारंपरिक नाचा के बढ़ोतरी खातिर येमा विकास तको करिन। खड़े साज के नाच पार्टी म मसाल के जघा गैसबत्ती लवइया, चिकारा के जघा हरमोनियम अउ गोहर पार के पाठ बोलई के जघा माइक ला बउरइया दाउ मदराजी रहिन। महिला के पाठ करइया पुरूस कलाकार के जघा म देवरनिन टूरी मन ला नाचा म लाये के साहस तको दाउ मंदराजी मेर रहिस जउन ह समाज के ठेकेदार मन के मीन मेख निकलई ला ठेंगा देखावत फिदाबाई, रेखा बाई, बसंती बाई जइसे छत्तीसगढ़ माटी के सोना मन ला नाचा के मंच देवइस। खड़े साज के नाचा ले आज के आधुनिक नाचा अउ लोकनाट्य के बड़का नागर रूप म लाये के पाछू दाउ मंदराजी के प्रयास ये। पहिली बार दाउ मंदराजी ह रायपुर जइसे बड़े सहर म टिकिट लगाके अपन रवेली रिंगनी साज के नाचा ला एक-डेढ़ महीना ले पाल-परदा सहित पेस करिन। तेखर पाछू सबे छोटे बडे नाच पार्टी मन दाउजी के नकल करत रहिन। दाउ मदराजी अपन उम्मर भर नाचा के संग जीइस। उंखर खेती-खार सब परिया पर गे नइ तो नाचा के आयोजन बर होये खरचा बर बेंचा गे। धीरे-धीरे दाउ मंदराजी के जम्मो जमीन बेंचा गे फेर दाउजी अपन नाचा के धुन ल नइ छोडिन। नाचा के अभी जउन रूप हम देखत हावन तउन ह दाउ मदराजी के समरथ ले, उंखर पंदोली देहे ले पाये रूप आय। नाचा म दाउ मंदराजी के योगदान ला सदा-सदा ले सुरता राखे जाही।
संजीव तिवारी