सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! जंवारा बोए ले अन-धन बाढ़थे रे। नौ दिन माता के सेवा करे ले हमर घर मा, हमर देस मा समृद्धि आथे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नइ पाएन, के काबर अइसे कहय। क्वॉर के महीना मा जम्मो किसान भाई मन खेत.खार के बुता ले उबर के फसल पाके के अगोरा मा रहिथे, फेर ए महीना मा माहू, फाफा मन घलाव कूद.कूद के फसल ला खाए के अगोरा मा रहिथे। जोत जंवारा बोए ले ए जम्मो माहू मन खेत.खलिहान ला छोड़ के घर.दुवारी के रद्दा पकड़ लेथे अउ हमर फसल हा सुरक्षित रहिथे। माता सेवा के घलाव भारी महत्तम हे।
अब तो विग्यान हर घलाव सिद्ध कर डारे हे कि गीत.संगीत अउ मांदर, ढोल, मंजीरा के सुघ्घर आवाज ला सुन के रूख.राई मन घलाव झूमे लागथे। तब का खेत मा फसल हा खुस होके नइ लहराही ? जब खेत मा सुघ्धर फसल लहलहाही तभे तो घर मा अउ देस मा खुसियाली आही। फेर बरसात के जाए के बाद गनेस पाख, पितर पाख फेर दुरगा पाख मा लगातार होम.धूप देहे ले हमर वातावरन मा व्याप्त छोटे.छोटे जीवानु.कीटानु मन के सफाया बड़ा आराम से होथे अउ आक्सीजन के भरपूर मातरा हमला मिलथे।
क्वॉर के महीना मा जाड़ के सुरूवात हो जथे। ए सुघ्धर जाड़के महीना मा नदिया.नरवा के पानी घलाव निर्मल हो जाथे अउ हर तरफ धूप के खुशबू से वातावरन हर कतका स्वच्छ हो जाए रहिथे। तइहा के ऋसि.मुनि मन घलाव कहे हे कि यग्य हवन से बरसात होथे अउ बने बरसात होय ले अनाज बाढ़थे। हमन बरसात के जाए के बेरा ले ही कुछु न कुछु बहाना करके यग्य हवन सुरू कर देथन ताकि आने वाला समय हर हमर बर सुख अउ समृद्धि लेके आवय। जगमगात जोत.जवारा अउ लहलहावत खेत.खलिहान के कतका जबर संबंध हे ते हर बड़ा विचार करे के बात हे। तभे तो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! जंवारा बोए ले अन-धन बाढ़थे रे। नौ दिन माता के सेवा करे ले हमर घर मा, हमर देस मा समृद्धि आथे। सियान बिना धियान नई होवय। तभे तो उॅखर बात ला गठिया के धरे मा ही भलाई हावै। सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावै।
रश्मि रामेश्वर गुप्ता
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]